सूत्रों ने आज कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन पद पर बने रहेंगे. हिंसा प्रभावित राज्य में दो महिलाओं को नग्न घुमाने के वीडियो से देश सदमे और गुस्से में है. सोशल मीडिया पर कांग्रेस समेत कई लोगों ने सरकार पर भारी विफलता का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की है.
इन खबरों के बीच सरकार के सूत्रों ने कहा, "मुख्यमंत्री बदलने पर कोई चर्चा नहीं है, बल्कि प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि कानून व्यवस्था नियंत्रण में रहे." सूत्रों ने कहा, "मणिपुर में स्थिति नियंत्रण में है. गृह मंत्री ने आज सुबह कुकी समूहों से बात की. उन्हें त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया... केंद्र राज्य के साथ लगातार संपर्क में है."
कल 4 मई की घटना का वीडियो सामने आया और वायरल हो गया. उसमें पुरुषों का एक समूह महिलाओं को नग्न घुमाते हुए दिख रहा है. महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की जा रही थी. उन्हें धान के खेत की ओर ले जाया गया, जहां उनमें से एक के साथ कथित तौर पर गैंग रेप किया गया. 70 दिन से अधिक समय तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. घटना को लेकर कल हुए उपजे आक्रोश के बाद एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. इस घटना को लेकर अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किए जाने की खबर है.
वीडियो ने राज्य सरकार की कथित निष्क्रियता को लेकर नागरिकों में भय और आक्रोश पैदा कर दिया और सोशल मीडिया राज्य की बीजेपी सरकार की आलोचना करने वाले मैसेज से भर गया. आज सुबह मणिपुर में एक विशाल विरोध रैली आयोजित की गई. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर उसने कार्रवाई नहीं की तो अदालत जरूर कार्रवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "कल आए वीडियो को लेकर हम बहुत परेशान हैं. हम अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं. अब समय आ गया है कि सरकार कदम उठाए और कार्रवाई करे. यह अस्वीकार्य है."
भाजपा में कुछ लोगों ने महिलाओं पर हुए अत्याचार की निंदा की. आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मणिपुर की घटना "किसी भी सभ्य राष्ट्र के लिए शर्मनाक है, पूरे देश को शर्मसार किया गया है."
उन्होंने संसद में अपने उद्घाटन भाषण में कहा, "मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता."
लेकिन कांग्रेस इस पर शांत नहीं हुई. वह मांग कर रही है कि प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में बयान दें. संसद का मानसून सत्र आज ही शुरू हुआ है.
कांग्रेस के जयराम रमेश, जो कि पार्टी के संचार प्रभारी भी हैं, ने ट्वीट किया कि, प्रधानमंत्री का बहुत छोटा बयान, बहुत देर से आया है."
रमेश ने ट्वीट किया, "1,800 घंटे से अधिक की समझ से परे और अक्षम्य चुप्पी के बाद प्रधानमंत्री ने अंततः मणिपुर पर कुल 30 सेकंड बात की... उन्होंने शांति के लिए कोई अपील नहीं की, न ही मणिपुर के मुख्यमंत्री से पद छोड़ने के लिए कहा."
उन्होंने पीएम मोदी पर अन्य राज्यों, विशेषकर विपक्ष द्वारा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बराबरी करके शासन की भारी विफलताओं और मानवीय त्रासदी से ध्यान भटकाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया.
मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से कांग्रेस प्रधानमंत्री की चुप्पी और सरकार की निष्क्रियता की आलोचना कर रही है. कल के वीडियो ने संसद में विपक्ष को अपने तेवर और तीखे करने का मौका दे दिया है. रमेश ने कहा कि संसद में मणिपुर पर चर्चा "नॉन नेगोशिएबिल" है.
सरकार कल मणिपुर पर चर्चा कराने पर सहमत हो गई है. सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्री "मणिपुर पर चर्चा होने पर सदन में मणिपुर पर विस्तृत प्रतिक्रिया देंगे."