संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) आज बुधवार को निर्धारित समय से एक दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा. दरअसल, कांग्रेस मुख्यालय पर पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर आर चौधरी, जयराम रमेश, के सुरेश और डॉ नसीर हुसैन ने ब्रीफिंग में कहा कि आरोप लगाया जा रहा कि विपक्ष सदन नहीं चलने दे रहा है, जबकि आज हमारे बोलने से पहले ही सदन को स्थगित कर दिया गया. इसमें हमारी गलती नहीं है. गलती सरकार की है और यह जानबूझकर किया गया है.
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कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे कहा कि हमारे पास मुद्दों की लंबी लिस्ट थी, जिस पर हम इस सत्र में चर्चा चाहते थे. लेकिन पहले ही दिन 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. पूरा विपक्ष एकजुट होकर लड़ा लेकिन सरकार समस्या सुलझाने को तैयार नहीं थी. मैं सबकी तरफ़ से खेद जताने को तैयार था पर सरकार नहीं मानी. राज्यसभा में हमारे विपक्ष के आंकड़े हैं 120 और एनडीए के 118 इसलिए पहले ही दिन 12 सांसदों को सस्पेंड कर दिया ताकि बिल पास करा सकें.
उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी मामले की रिपोर्ट उनके ‘उपयोगी' मुख्यमंत्री की SIT की रिपोर्ट है. इसमें सुनियोजित हत्या की बात है. हमें मुद्दे उठाने नहीं दिया और आज सदन समाप्त कर दिया. 11 बजे सदन शुरू होते ही 2 बजे तक स्थगित कर दिया जाता था. ज़ाहिर है चेयरमैन सरकार के दबाव में काम कर रहे थे. चुनाव कानून सुधार बिल लोकसभा में 20 मिनट में पास कर दिया. सीबीआई, ईडी, सीवीसी आदि के कार्यकाल बढ़ाने जैसे कानून बनाकर उन्होंने अपना एजेंडा चलाया है. मैं अयोध्या में ज़मीन का मुद्दा उठाना चाहता था, पर नहीं उठाने दिया.
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अधीर रंजन ने कहा कि टेनी का मामला छोटा नहीं है. उसे उठाना हमारी ज़िम्मेदारी थी. वहीं जयराम रमेश ने कहा कि ये असंवैधानिक निलंबन था. 12 सांसदों के सस्पेंशन और टेनी के रेजिग्नेशन मामले पर 15 विपक्षी पार्टियां शुरू से अंत तक एकजुट रहीं. अल्पसंख्यकों के लिए चुनाव क़ानून तीन कृषि क़ानूनों की तरह खतरनाक है. अल्पसंख्यकों, दलितों, पिछड़ों, कमज़ोर तबकों के लिये खतरनाक है, इनके हक मारे जाएंगे.
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