कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश के स्थानीय चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का एलान किया है. बुधवार को दिल्ली में राहुल गांधी ने यूपी के कांग्रेस सांसदों की बैठक बुलाई थी जिसके बाद पार्टी के प्रभारी अविनाश पांडे ने इसका ऐलान किया. इस एलान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस ने “साइकल की सवारी” छोड़ दी है? हालांकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि ऐसा 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत बनाने के मकसद से किया जा रहा है ताकि समाजवादी पार्टी के सामने "मोलभाव की ताकत" बढ़ सके.
यूपी में पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी कांग्रेस
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ बैठक के बाद दस जनपथ पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, “संगठन सृजन और आने वाले दिनों में जो चुनावी चुनौतियां हमारे सामने हैं, उन पर चर्चा हुई. हमें विधानसभा की सभी सीटों पर संगठन को मजबूती के साथ तैयार करना है. साथ ही पंचायती चुनाव में कांग्रेस स्वतंत्र रूप से उतरेगी और भाग लेगी. आगे जैसी भी परिस्थितियां होंगी… ” यूपी कांग्रेस के प्रभारी ने यह भी कहा कि बैठक में 14 दिसबंर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली रैली को सफल बनाने को लेकर चर्चा हुई. यह भी चर्चा हुई कि हमें एसआईआर का जवाब किस तरह देना है? बारह राज्यों में गलत तरीके से हो रहे एसआईआर के कारण सैंकड़ों बीएलओ दुखी हैं और आत्महत्या कर रहे हैं.
गठबंधन पर राहुल गांधी ने क्या कहा?
सूत्रों में मुताबिक बैठक में राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं को अगले छह महीने में संगठन को मजबूत करने और लोगों के मुद्दों को उठाने की नसीहत दी. वहीं सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव में किसी तरह के गठबंधन को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि यह आगे देखा जाएगा. बैठक में मौजूद एक सांसद ने कहा कि पंचायत चुनाव में संगठन के पुराने जमीनी कार्यकर्ताओं को परखने और नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने का मौका मिलता है. जब संगठन मजबूत होगा तभी विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा. पंचायत चुनाव कभी गठबंधन में नहीं लड़े जाते. इसका कोई और मतलब नहीं निकालना चाहिए.
हम एसपी के पिछलग्गू नहीं- कांग्रेस सांसद
वहीं एक दूसरे कांग्रेस सांसद ने कहा कि, समाजवादी पार्टी कांग्रेस को पिछलग्गू समझती है. कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि पार्टी यूपी में मजबूत संगठन बनाए ताकि विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीटें मिल सके. कोई भी समझौता सम्मान के बिना नहीं हो सकता. अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि कांग्रेस का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन खत्म हो गया है लेकिन जरूरी नहीं कि हम विधानसभा चुनाव साथ ही लड़ें! लेकिन बिना कांग्रेस अखिलेश यादव दुबारा सीएम नहीं बन सकते. यूपी में अगले साल की शुरुआत में पंचायत चुनाव होने हैं और उसके ठीक एक साल बाद विधानसभा के चुनाव होंगे. पंचायत चुनाव के अलावा कांग्रेस यूपी में दलित वोटरों के बीच अभियान तेज करने वाली है. इसको लेकर करीब दर्जन भर सभाओं की योजना बनाई जा रही है.
2017 चुनाव में असफल रहा था गठबंधन
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन कोई करिश्मा नहीं कर पाया लेकिन 2024 के बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने यूपी में बीजेपी को बड़ा झटका दिया था. समाजवादी पार्टी को 62 में से 37 और कांग्रेस को 17 में 6 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी.
समाजवादी पार्टी को कांग्रेस का संदेश
इस जीत का श्रेय समाजवादी पार्टी को मिला तो कांग्रेस नेताओं ने दलील दी कि कांग्रेस के कारण दलितों ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया. लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव में मनमुताबिक सीटें नहीं मिलने के कारण कांग्रेस ने चुनाव से खुद को पीछे खींच लिया. उपचुनाव के नतीजों में समाजवादी पार्टी को झटका लगा. अब पंचायत चुनाव में अकेले लड़ने का एलान कर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को संकेत दे दिया है कि कांग्रेस "सम्मान" से समझौता कर कोई गठबंधन नहीं करेगी.
2027 के लिए कांग्रेस का क्या प्लान
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में अलग अलग लड़ कर कांग्रेस के केवल 2 जबकि एसपी के 111 विधायक बने थे. 2017 के समझौते में यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर समाजवादी पार्टी के नेताओं को कांग्रेस के निशान पर उतारा गया था और कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट भी देखने को मिला था. सूत्रों के मुताबिक अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सौ से कुछ ज्यादा सीटें चाहती है. हालांकि बिहार की तरह ही उसकी नजर "अच्छी" सीटों पर है.
कांग्रेस ने जाहिर किए इरादे
नवंबर में आए बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों में आरजेडी–कांग्रेस गठबंधन का सफाया हो गया. हालांकि दोनों दलों में सीट बंटवारे पर पूर्ण सहमति नहीं बन पाई थी और करीब आधा दर्जन सीटों पर दोनों दल आमने सामने नजर आए. बिहार चुनाव के बाद चर्चा थी कि यूपी में समाजवादी पार्टी कांग्रेस पर कम सीटों पर लड़ने का दबाव बना सकती है लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं.














