संविधान पर सियासत से लेकर अदाणी ग्रुप को टारगेट करने तक... राहुल गांधी ने की ये 7 गलतियां, उठ रहे 7 सवाल

राहुल गांधी के बेबुनियाद आरोपों को ना देश की जनता सही मान रही, ना बाजार सही मान रहा. छोटे निवेशक ही नहीं, बल्कि बड़े बड़े निवेशकों ने भी अदाणी ग्रुप में पूरा भरोसा जताया है. अंतरराष्ट्रीय निवेशक कंपनी GQG से लेकर दूसरी कंपनियों ने भी अदाणी ग्रुप को सही माना है.

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नई दिल्ली:

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अदाणी ग्रुप (Adani Group) पर बेबुनियाद आरोप लगाते हैं. जब उस पर मीडिया उनसे सवाल करता है, तो चुप्पी साध लेते हैं. राहुल गांधी ने अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को लेकर अदाणी ग्रुप पर कई संगीन आरोप लगाए. लेकिन अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) ने स्टॉक एक्सचेंज में अपनी फाइलिंग में बता दिया है कि अमेरिका में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के जो आरोप उसपर लगे थे, वे पूरी तरह गलत हैं. इससे मार्केट और अदाणी ग्रुप के शेयरों में गजब की उछाल देखने को मिल रही है. वहीं, राहुल गांधी अपनी बातों को लेकर घिरते जा रहे हैं.

देश का नाम विदेश में बदनाम करने के लिए राहुल गांधी एक के बाद एक कई गलतियां करते रहे हैं. हाल-फिलहाल में राहुल गांधी  ने ऐसी 7 गलतियां कीं, जिससे देश का नाम खराब हुआ. इससे राहुल गांधी पर 7 बड़े सवाल भी उठते हैं. पहले डालिए राहुल गांधी की 7 गलतियों पर एक नजर:-

1. अदाणी ग्रुप पर लगाए बेबुनियाद आरोप
राहुल गांधी ने बिना सबूत अदाणी ग्रुप पर आरोप लगाने, निवेशकों में भ्रम फैलाने से लेकर देश की साख बिगाड़ने की कोशिश जैसी गलती की है.

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2. हिंडनबर्ग की संदिग्ध रिपोर्ट को ही मान पूरा सच
इससे पहले हिंडनबर्ग की संदिग्ध रिपोर्ट को ही राहुल गांधी ने पूरा सच घोषित कर दिया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से इस पर अदाणी ग्रुप को क्लीनचिट मिल गई. 

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3. औद्योगिक वातावरण को खराब करने की कोशिश
फिर राहुल गांधी विदेशी साजिश का हिस्सा बने, जिसे सेबी और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं पर भरोसा नहीं हो. इससे करोड़ों निवेशकों को नुकसान पहुंचा. देश के औद्योगिक वातावरण को भी खराब किया गया. 

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4. सेबी और सुप्रीम कोर्ट पर उठाए सवाल
सेबी प्रमुख पर हिंडनबर्ग के आरोप लगे, तो राहुल गांधी ने सेबी की सुचिता पर ही सवाल उठा दिए. जबकि हिंडनबर्ग का कथित खुलासा बेहद संदिग्ध निकला. राहुल ने किसी व्यक्ति की जगह पूरी संस्था को ही कठघरे में खड़ा कर दिया. इससे करोड़ों निवेशकों के मन में शक पैदा हुआ.

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5. HAL को बर्बाद करने का लगाया आरोप
उससे पहले उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL को बर्बाद करने का आरोप लगाया था, जबकि HAL के स्टॉक 5 साल में 5 गुना तक बढ़ गए. ऐसे आरोप लगाकर राहुल ने देश को गुमराह किया. HAL जैसे फर्म की इमेज खराब की. देश की सुरक्षा तैयारियों में अड़ंगा लगाया गया.

6. राफेल डील में कमीशनखोरी का लगाया आरोप
उसी तरह राफेल डील में राहुल गांधी ने कमीशनखोरी का आरोप लगाया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राफेल डील में पूरी प्रक्रिया का पालन हुआ था. राहुल ने आरोप लगाकर सुरक्षा तैयारियों में बाधा डालने की कोशिश की. उन्होंने देश की छवि बिगाड़ने की कोशिश की.

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7. संविधान पर भी की सियासत
 संविधान पर भी राहुल गांधी ने सियासत की. उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान और आरक्षण खत्म करने की कोशिश हो रही है, जबकि जनता ने लोकसभा से लेकर हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव तक राहुल के नैरेटिव को नकार दिया. इसमें राहुल ने फेक नैरिटिव फैलाने, ट्रोल बन जाने, जनहित के मुद्दों से कटने, विपक्ष को ही कमजोर करने और इसके साथ लोकतंत्र को कमजोर करने की गलती की.

राहुल गांधी से 7 सवाल
राहुल गांधी की इन गलतियों को लेकर उनपर 7 सवाल उठ रहे हैं:-

1. जब रिश्वत में अदाणी का नाम ही नहीं, तो राहुल गांधी ने आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर क्यों पेश किया?

2. विदेश में आरोप लगता है कि राहुल गांधी अभियान चलाते हैं, क्या ये एक पैटर्न नहीं है?

3. क्या राहुल गांधी भारतीय कॉरपोरेट विरोधी इंटरनेशनल गैंग के 'देसी पार्टनर' बन गए हैं?

4. क्या राहुल गांधी जानबूझकर या बेवकूफी में देश के खिलाफ साजिश रचने वालों के हाथों खेल रहे हैं?

5.हिंडनबर्ग केस में देश के निवेशकों को नुकसान पहुंचा शॉर्ट सेलर ने मुनाफा कमाया. राहुल इसके हिस्सेदार क्यों बनें?

6. अमेरिका में 'रिश्वत केस' से फिर से निवेशकों का नुकसान हुआ है. पैसा किसने बनाया, इसकी जांच क्या नहीं होनी चाहिए?

7. क्या भ्रम फैलाने वाले व्यक्ति को विपक्ष के नेता जैसे संवैधानिक पद पर होना चाहिए?

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस पूरे मामले को लेकर NDTV ने सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील महेश जेठमलानी से बात की. राहुल गांधी ने अदाणी मामले में इतनी जल्दी क्यों दिखाई? इसके जवाब में जेठमलानी ने कहा, "गौतम अदाणी के खिलाफ अमेरिका में रिश्वत का मामला कंफर्म नहीं है. कोई सबूत नहीं है. राहुल झूठे आरोप लगा रहे हैं. जब वहां रिश्वत देने के कोई सबूत ही नहीं हैं, तो ये बात कहां से आई कि देश में हमारे एजेंसियों को अलर्ट होना चाहिए. अमेरिका में ये इल्जाम नहीं है कि किसी को पैसे खिलाए गए."

क्या राहुल गांधी देश विरोधी ताकतों के गोद में बैठे है? इसके जवाब में महेश जेठमलानी कहते हैं, "ऐसा लगता है कि राहुल गांधी में अदाणी के खिलाफ निजी नफरत इतनी है कि वो कुछ भी कहने के लिए तैयार हैं. बिना सबूतों के वह अनाप-शनाप आरोप लगाते रहते हैं."

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जेठमलानी कहते हैं, "राहुल गांधी जो कर रहे हैं, उसका किसी को फायदा नहीं है. लेकिन नुकसान देश को है, देश के निवेशकों को है."हमारे रिटेल इंवेस्टर्स को हिंडनबर्ग रिसर्च ने जिस तरह से नुकसान पहुंचाया और अब तो अमेरिकी जांच को लेकर हमले हुए हैं... उसे किसे नुकसान हुआ? सबसे ज्यादा नुकसान तो रिटेल इंवेस्टर्स को हुआ है."

खुद मार्केट से कमाई करते हैं राहुल गांधी?
राहुल गांधी एक तरफ तो मार्केट और म्यूच्युअल फंड को लेकर बेबुनियाद आरोपों से दूसरों को डराते हैं, लेकिन खुद शेयर मार्केट से कमाई करते हैं. बीते 5 महीने में राहुल गांधी ने शेयर मार्केट से 46.49 लाख रुपये की कमाई की है. उनके पोर्टफोलियो की वैल्यू 15 मार्च 2024 को 4.33 करोड़ रुपये थी. 12 अगस्त 2024 में इनकी कीमत 4.80 करोड़ हो गई है.

निवेशकों ने दिखाया अदाणी ग्रुप पर भरोसा
जिस वक्त विपक्ष के नेता राहुल गांधी अदाणी ग्रुप के जरिए देश के विकास की गति को रोकने पर आमादा हैं, उसी वक्त दुनिया भर की बड़ी बड़ी निवेशक कंपनियां भारतीय बाजार से लेकर अदाणी ग्रुप के शेयरों में पूरा भरोसा जता रही हैं. उसका ही नतीजा है कि आरोपों के तीखे तीर भी अदाणी ग्रुप के शेयरों के उछाल को छलनी नहीं कर सके. लेकिन आर्थिक जानकार मानते हैं कि पश्चिम की कारोबारी दुनिया को भारत का आर्थिक विकास पच नहीं रहा है, इसलिए झूठे हथकंडे आजमाए जा रहे हैं.

इकोनॉमिक गुरु डॉ. अमन चुग कहते हैं, "अभी ग्लोबलाइजेशन (Globalisation) स्लोबलाइजेशन (Slobalisation) की तरफ जा रहा है. स्लोडाउन यानी मंदी के लिए स्लोबलाइजेशन शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. अभी ओवरऑल मंदी का फेज है. वेस्टर्न वर्ल्ड पर इससे बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है. इसलिए वो ये पसंद नहीं करेंगे कि भारत की इकोनॉमी बढ़े."

अश्विनी दुबे ने कहा, "देश जिस तरह से प्रगति कर रहा है, उसको रोकने के लिए और खासतौर पर कारोबारियों को टारगेट करने का एक फैशन बन गया है. अगर आरोप लगाते हैं, तो जवाब भी पढ़ना चाहिए."

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