G-23 के नेताओं की हुई एंट्री, मानसून सत्र से पहले सोनिया गांधी ने संसदीय टीम का किया पुनर्गठन

बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी, लोकसभा में पार्टी के नेता बने रहेंगे, जबकि असम के पूर्व सीएम स्वर्गीय तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई सदन के उपनेता के रूप में अपना पद बरकरार रखेंगे. पार्टी नेताओं के एक वर्ग ने पहले कहा था कि अधीर रंजन चौधरी को बदला जा सकता है लेकिन सोनिया गांधी ने उन पर भरोसा बरकरार रखा है.

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सोनिया गांधी ने मानसून सत्र से पहले पार्टी के संसदीय समूह का पुनर्गठन किया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने संसद के मानसून सत्र से पहले पार्टी के संसदीय समूह (टीम) का पुनर्गठन किया है. इस फेरबदल में "जी -23" के वैसे नेताओं को भी शामिल किया गया है, जिन्होंने पिछले साल एक विस्फोटक चिट्ठी लिखकर पार्टी में कई अहम पदों को खो दिया था.

उन "जी -23" के असंतुष्टों में से शशि थरूर और मनीष तिवारी को लोकसभा में सात सदस्यीय समूह का हिस्सा बनाया गया है.

बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी, लोकसभा में पार्टी के नेता बने रहेंगे, जबकि असम के पूर्व सीएम स्वर्गीय तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई सदन के उपनेता के रूप में अपना पद बरकरार रखेंगे. पार्टी नेताओं के एक वर्ग ने पहले कहा था कि अधीर रंजन चौधरी को बदला जा सकता है लेकिन सोनिया गांधी ने उन पर भरोसा बरकरार रखा है.

के सुरेश को लोकसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया है, जबकि रवनीत सिंह बिट्टू और मनिकम टैगोर को पुनर्गठित सात सदस्यीय लोकसभा समूह में सचेतक बनाया गया है.

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राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे सदन के नेता हैं, जबकि एक अन्य असंतुष्ट आनंद शर्मा को उप नेता बनाया गया है. जयराम रमेश को उच्च सदन में मुख्य सचेतक बनाया गया है. अंबिका सोनी, पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और केसी वेणुगोपाल इस समूह के अन्य सदस्य बनाए गए हैं.

सोनिया गांधी द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान में कहा गया है, "ये संसदीय समूह संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन मिलेंगे और जहां संसद के मुद्दों का संबंध है, अंतर-सत्र अवधि के दौरान भी बैठक कर सकते हैं." बता दें कि कल से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है.

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बयान में कहा गया है कि आवश्यकता पड़ने पर इन समूहों की संयुक्त बैठकें भी आयोजित की जा सकती हैं और मल्लिकार्जुन खड़गे संयुक्त बैठकों के संयोजक होंगे. संसद के आगामी सत्र में कांग्रेस का लक्ष्य बढ़ती महंगाई, बढ़ते पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम और कोरोनावायरस महामारी के दौरान सरकार की विफलता और डंवाडोल अर्थव्यवस्था पर  सरकार को घेरना है.

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