कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव : रेस में शशि थरूर की औपचारिक एंट्री, पार्टी से मंगवाया नॉमिनेशन फॉर्म

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने प्रतिनिधि को भेजकर मधुसूदन मिस्री से नामांकन पत्र मंगवाए

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अशोक गहलोत के अलावा शशि थरूर भी कांग्रेस अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव लड़ेंगे.
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शशि थरूर ने सबसे पहले चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी
कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के ग्रुप G-23 के सदस्य हैं थरूर
सोनिया गांधी थरूर को चुनाव लड़ने की इजाजत दे चुकी हैं
नई दिल्ली:

शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने आज कांग्रेस अध्यक्ष (Congress president) पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए नामांकन फॉर्म ले लिया. इसके साथ यह स्पष्ट हो गया है कि वे आधिकारिक रूप से अध्यक्ष पद के लिए चुनावी दौड़ में शामिल होंगे. कांग्रेस के G-23 नेताओं के ग्रुप के एक प्रमुख सदस्य शशि थरूर ने सबसे पहले इस पद के लिए चुनाव लड़ने के अपने इरादे की घोषणा की थी. यह पद गांधी परिवार के साथ लंबे समय से रहा है. पिछले 25 वर्षों स अध्यक्ष पद या तो सोनिया गांधी या उनके बेटे राहुल गांधी के पास रहा है.

आज से कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने प्रतिनिधि को भेजकर मधुसूदन मिस्री से नामांकन पत्र मंगवाए हैं.

शशि थरूर को 17 अक्टूबर को होने वाला अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई है. उनके सामने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कड़ी चुनौती है. गहलोत गांधी परिवार के कट्टर वफादार हैं. वे शीर्ष पद पर राहुल गांधी को लाने की तरफदारी करने वालों के बीच समर्थन जीतने की संभावना रखते हैं. मध्य प्रदेश से उनकी पार्टी के सहयोगी, कमलनाथ और मनीष तिवारी, जिन्होंने 2020 में थरूर के साथ सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक बदलाव का आह्वान किया था, वह भी दौड़ में हैं.

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यह दो दशकों में पहला चुनाव होगा जिसमें अध्यक्ष पद के लिए डिफ़ॉल्ट विकल्प के रूप में कोई गांधी नहीं होगा. राहुल गांधी, जो वर्तमान में पार्टी की "भारत जोड़ो" यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, ने गहलोत सहित अपनी पार्टी के सदस्यों की अध्यक्ष के रूप में लौटने की अपील को दृढ़ता से अस्वीकार कर दिया है. उन्होंने 2019 के आम चुनाव की हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. सोनिया गांधी, जो राहुल गांधी के कार्यभार सौंपने के पहले भी 19 साल तक कांग्रेस अध्यक्ष थीं, तब से अंतरिम कांग्रेस प्रमुख हैं.

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अध्यक्ष का चुनाव पिछले एक साल में कई प्रमुख नेताओं के पार्टी छोड़ने की पृष्ठभूमि में हो रहा है. वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी सबसे अंत में छोड़ी थी. उनके पार्टी से बाहर निकलने का पार्टी की जम्मू और कश्मीर इकाई के अधिकांश नेताओं ने अनुकरण किया था. पार्टी नेतृत्व में व्यापक बदलाव की मांग उठने के बाद से कांग्रेस कई राज्यों के चुनाव हार गई.

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अंतिम गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी थे. नरसिम्हा राव सरकार के बाहर होने के लगभग दो साल बाद मार्च 1998 में सीताराम केसरी की जगह सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष बनी थीं.

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उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आज कहा कि पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के बारे में टिप्पणी करने से पार्टी नेताओं को परहेज करना चाहिए. उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जब पिछले दिनों पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने अध्यक्ष पद के चुनाव में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खुलकर समर्थन किया था और लोकसभा सदस्य शशि थरूर पर निशाना साधा था. वल्लभ के बयान बाद पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने नसीहत दी थी कि सभी प्रवक्ता उम्मीदवारों के संदर्भ में टिप्पणी से परहेज करें.

सिंघवी ने ट्वीट किया, ‘‘जयराम रमेश से पूरी तरह सहमत हूं. कांग्रेस के साथियों को पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वालों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए. हमें निष्पक्ष सोच वाली अभिव्यक्ति की लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहिए. पार्टी ने हमेशा इसकी पैरोकारी की है.''

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच मुकाबले की बढ़ती संभावना के बीच पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने बृहस्पतिवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री का खुलकर समर्थन किया था.

गौरव वल्लभ ने इसके साथ ही थरूर को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें पत्र लिखकर उन (वल्लभ) जैसे कार्यकर्ताओं को कष्ट पहुंचाया और इसलिए वह गहलोत का समर्थन करेंगे.

इसके बाद रमेश ने पार्टी के प्रवक्ताओं एवं संचार विभाग के अन्य पदाधिकारियों से कहा था कि वे अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के बारे में किसी भी तरह की टिप्पणी से परहेज करें.

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