यूपी में हिचकोले क्यों खा रहा है कांग्रेस-सपा गठबंधन, उपचुनाव नहीं लड़ेगी राहुल गांधी की पार्टी?

समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश उपचुनाव के लिए दो सीटें दी है, इससे कांग्रेस खुश नहीं बताई जा रही है. ऐसी खबरें है कि कांग्रेस उपचुनाव से दूरी बना सकती है. ऐसे में सपा को खैर और गाजियाबाद में अपना उम्मीदवार उतारना पड़ सकता है.

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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन खटाई में पड़ता हुआ दिख रहा है. उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में खटपट की खबरें हैं. सपा ने कांग्रेस को जो सीटें चुनाव लड़ने के लिए दी हैं, उससे वो खुश नहीं है. वह उत्तर प्रदेश में उपचुनाव न लड़ने का फैसला कर सकती है. इसके बाद अब सपा इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है. कांग्रेस के इस फैसले के पीछे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को कारण माना जा रहा है.सपा ने महाराष्ट्र में करीब 12 सीटों की मांग की है. उपचुनाव से कांग्रेस के हट जाने के बाद इस बात पर ही सवाल उठ रहे हैं कि सपा को कांग्रेस महाराष्ट्र में सीट देगी भी या नहीं.  

उत्तर प्रदेश में उपचुनाव

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की नौ सीटों के लिए उपचुनाव की प्रक्रिया चल रही है.सपा ने कांग्रेस को लड़ने के लिए दो सीटें अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट दी हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस इससे खुश नहीं है. इन दोनों सीटों से कांग्रेस को काफी समय से जीत नहीं मिली है.साल 2022 के चुनाव में खैर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार मोनिका को केवल 1514 वोट मिले थे. वह चौथे स्थान पर रही थीं. वहीं गाजियाबाद सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सुशांत गोयल को 11 हजार 818 वोट मिले थे. इस सीट पर भी कांग्रेस चौथे नंबर पर थी.इसे देखते हुए कांग्रेस दोनों सीटें सपा को वापस कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो सपा इन सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारना पड़ेगा. लेकिन अभी इस पर कांग्रेस की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है. कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि सीटों को छोड़ने या चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी आलाकमान को लेना है. सूत्रों का कहना है कि चुनाव लड़ने या न लड़ने पर फैसला मंगलवार तक हो सकता है.

कांग्रेस उत्तर प्रदेश में जिन नौ सीटों पर उपचुनाव हो रहा है,उनमें से चार सीटों की मांग कर रही थी. लेकिन सपा ने कांग्रेस से राय-मशविरा किए बगैर छह सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. सपा ने यह कदम हरियाणा विधानसभा चुनाव के नजीते आने से पहले ही उठाया था.इसके बाद उपचुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सपा ने मीरापुर सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दी. उसने खैर और  गाजियाबाद सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी.कांग्रेस इससे खुश नहीं है, उसे लग रहा है कि उसने अगर आज सपा का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तो उसे 2027 के विधानसभा चुनाव में भी सपा के भरोसे ही रहना पड़ेगा. इससे उसके मनोबल पर असर पड़ेगा.अगर वह उपचुनाव की दोनों सीटें हार गई तो विधानसभा चुनाव में वह सपा से अधिक सीटें नहीं मांग पाएगी.

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हिचकोले खाता सपा-कांग्रेस का गठबंधन

सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को उत्तर प्रदेश में मात दी थी.इस गठबंधन ने 43 सीटों पर जीत का परचम लहराया था.सपा जहां 37 सीटें जीतकर संसद में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी.वहीं कांग्रेस के हिस्से में छह सीटें आई थीं. लेकिन सपा-कांग्रेस का गठबंधन ठीक से नहीं चल रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समझ में आया था.वहां कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी.इसी तरह कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी थी. हालांकि ऐसी खबरें थीं कि सपा हरियाण में चुनाव लड़ने की इच्छुक है, खासकर अहीरवाल बेल्ट में. अहीरवाल बेल्ट में कांग्रेस सबसे कमजोर हालत में यह यादव बहुल इलाका है, सपा को वहां अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी. इसी तरह से सपा-कांग्रेस का यह गठबंधन जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी नहीं दिखाई दिया.कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस, माकपा और पैंथर पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. इस गठबंधन में सपा को जगह नहीं मिली. मजबूरी में सपा ने राज्य की 16 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ा. 

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जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार और शनिवार को महाराष्ट्र का दौरा किया. सपा महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी से 12 सीटों की मांग की है. अभी शिव सेना (यूबीटी) और कांग्रेस आपस में ही सीट बंटवारे में ही उलझे हुए हैं, ऐसे में यह साफ नहीं हुआ है कि एमवीए सपा को कितनी सीटें देगा. सपा के महाराष्ट्र में दो विधायक हैं.

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