गांधी परिवार फिर चुनेगा कांग्रेस अध्यक्ष? पार्टी के नए कदम से उठे सवाल

प्रदेश कांग्रेस कमेटियों से इस महीने की 20 तारीख से पहले प्रस्ताव पारित करने का अनुरोध किया गया है. चुनाव अधिसूचना की प्रक्रिया 22 सितंबर से शुरू हो रही है और मतदान 17 अक्टूबर को है.

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
नई दिल्ली:

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सभी राज्य इकाइयों को अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए राज्य इकाई के प्रमुखों और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्यों को नामित करने के लिए प्रस्ताव पारित करने को कहा है. सूत्रों ने एनडीटीवी ये जानकारी दी है. इसका मतलब अगले महीने होने वाले आंतरिक चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग सकते हैं, हालांकि पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में ऐसे प्रस्तावों से रुकावट नहीं हो सकता है.

सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी, लेकिन जिस चीज ने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है, वह उनके बेटे राहुल गांधी के चुनाव नहीं लड़ने का फैसला है. परिवार किसी गैर-गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में है, जिसका मतलब है कि सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा, जो वर्तमान में महासचिव हैं, एक विकल्प नहीं हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे वफादारों को संभावित गैर-गांधी विकल्पों के रूप में देखा जा रहा है.

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राज्य के प्रतिनिधियों को मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी को अगले कांग्रेस अध्यक्ष के नाम की अनुमति देने का प्रस्ताव पारित करने से कोई नहीं रोकता है. हालांकि, यह कांग्रेस केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के लिए बाध्यकारी नहीं होगा. चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक नेता ने कहा, "हम प्रस्ताव पारित करने की इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं."

प्रदेश कांग्रेस कमेटियों से इस महीने की 20 तारीख से पहले प्रस्ताव पारित करने का अनुरोध किया गया है. चुनाव अधिसूचना की प्रक्रिया 22 सितंबर से शुरू हो रही है और मतदान 17 अक्टूबर को है.

सोनिया गांधी पिछले तीन साल से अंतरिम अध्यक्ष हैं. वह लगातार 18 सालों तक पूर्णकालिक पद पर रहीं. इसके बाद उनके बेटे राहुल गांधी 2017 में निर्विरोध निर्वाचित हुए. लेकिन उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद पद छोड़ दिया, और वह एक अंतरिम सेटअप के लिए लौट आईं. तब से चुनाव होना है.

पार्टी ने आखिरी बार 2000 में चुनाव देखा था, जब उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नेता जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी को चुनौती दी थी. उन्होंने लगभग 99 प्रतिशत प्रतिनिधि वोट हासिल करके जीत हासिल की. उसके बाद वह कई वर्षों तक कांग्रेस के साथ रहे, जैसा कि उनके बेटे जितिन प्रसाद ने किया, जो अब भाजपा के साथ हैं.

Advertisement

फिर से खड़ी होने के लिए जद्दोजहद कर रही कांग्रेस को भाजपा से भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. गोवा में एक सामूहिक दलबदल में कांग्रेस के 8 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया. राहुल गांधी की क्षमताओं पर भी सवाल उठाए जाते हैं, क्योंकि हाई-प्रोफाइल नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी है. हाल ही में गुलाम नबी आजाद जो 23 वरिष्ठ असंतुष्ट नेताओं में से एक थे, जिन्होंने सुधार की मांग की थी, उन्होंने भी पार्टी से त्याग पत्र दे दिया.

अब चुनावों में भी, शशि थरूर और मनीष तिवारी सहित पांच सांसदों ने प्रक्रिया के बारे में चिंता जताई और चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री को पत्र लिखकर प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की है.

Advertisement

इसके बाद पार्टी एक अहम बदलाव पर राजी हो गई. अब, जो कोई भी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करना चाहता है, वह निर्वाचक मंडल बनाने वाले सभी 9,000 प्रतिनिधियों की सूची देख सकेगा. मिस्त्री ने कहा है कि यह सूची 20 सितंबर से चुनाव प्राधिकरण के कार्यालय में उपलब्ध होगी.

मिस्त्री ने एनडीटीवी को बताया कि निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, प्रतिनिधियों को अद्वितीय क्यूआर कोड के साथ आईडी कार्ड दिए जा रहे हैं, जो उनके विवरण को केवल एक कैमरा स्कैन के साथ क्रॉस-चेक के लिए सुलभ बना देगा.
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Kurnool Bus Fire: क्यों चलती बस में लग जाती है आग? Andhra Pradesh Bus Fire | Jaisalmer Bus Accident
Topics mentioned in this article