कांग्रेस के लिए रेड अलर्ट: सचिन पायलट ने दिल्ली में डाला डेरा, राजस्थान संकट के समाधान की मांग 

पिछले साल ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने और पिछले दिनों जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी का एक वर्ग सचिन पायलट को रिस्क जोन में मान रहा है कि वह भी कभी भी पार्टी छोड़ सकते हैं. हालांकि उनके करीबी सूत्रों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होने जा रहे हैं.

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नई दिल्ली:

कांग्रेस (Congress) नेता और राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) इन दिनों पार्टी नेतृत्व से मिलने की कोशिश में दिल्ली में हैं. उनका कहना है कि राज्य के सियासी संकट के समाधान का वादा किए जाने के महीनों बाद भी यह अनसुलझा है. जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी में जाने के कुछ दिनों बाद, राजस्थान के नेता की यह यात्रा पार्टी के लिए एक रेड अलर्ट का संकेत देती है, जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

बीजेपी नेता रीता बहुगुणा जोशी के दावों को खारिज करने के कुछ घंटे बाद ही सचिन पायलट शुक्रवार की शाम दिल्ली पहुंचे. कांग्रेस की पूर्व नेता जोशी ने दावा किया था कि उन्होंने सचिन से बात की है और वह जल्द ही बीजेपी में शामिल होने वाले हैं क्योंकि उनके पास इसके पर्याप्त कारण हैं.

सचिन पायलट ने BJP नेता के दावे को किया खारिज, बोले- "सचिन तेंदुलकर से की होगी बात"

पायलट ने रीता बहुगुणा के दावों को खारिज करते हुए कहा था, "रीता बहुगुणा जोशी ने कहा है कि उन्होंने सचिन से बात की है. उन्होंने सचिन तेंदुलकर से बात की होगी. उनमें मुझसे बात करने की हिम्मत नहीं है."

इस बयान के कुछ ही घंटों बाद पायलट ने दिल्ली की उड़ान भरी. इसके जरिए उन्होंने साफ संदेश दे दिया है कि उन्हें कोई भी हल्के (taken for granted) में न ले.

जितिन प्रसाद चले गए, सचिन पायलट बेचैन और देख रही कांग्रेस 

पिछले साल ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने और पिछले दिनों जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी का एक वर्ग सचिन पायलट को रिस्क जोन में मान रहा है कि वह भी कभी भी पार्टी छोड़ सकते हैं. हालांकि उनके करीबी सूत्रों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होने जा रहे हैं, बल्कि कांग्रेस में ही रहकर राजनीति करेंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि पायलट अपने हक के लिए और कांग्रेस के भीतर सुधारों के लिए लड़ेंगे.

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री अपने विधायकों और समर्थकों को मंत्रिमंडल और पार्टी में पदों पर समायोजित करने के लिए दबाव बना रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसका विरोध कर चुके हैं.

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