कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ शिवकुमार CM बनने की राह में आई बाधाओं को नहीं कर सके पार

शिवकुमार के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान पार्टी ने राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में शानदार जीत हासिल की. पार्टी ने 135 सीट पर जीत दर्ज की है. शिवकुमार न केवल 2023 के विधानसभा चुनाव में, बल्कि अतीत में कई महत्वपूर्ण मौकों पर पार्टी के लिए ‘संकटमोचक’ की भूमिका निभा चुके हैं.

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बेंगलुरु: कांग्रेस नेता डी.के. शिवकुमार पार्टी के ‘संकटमोचक' माने जाते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने की राह में आई बाधाओं को वह पार नहीं कर सके और उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा. पार्टी के शीर्ष नेताओं ने नई दिल्ली में तीन दिनों की मैराथन बैठकों और गहन मंत्रणा के बाद बृहस्पतिवार को ऐलान किया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया होंगे.

शिवकुमार के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान पार्टी ने राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में शानदार जीत हासिल की. पार्टी ने 135 सीट पर जीत दर्ज की है. शिवकुमार न केवल 2023 के विधानसभा चुनाव में, बल्कि अतीत में कई महत्वपूर्ण मौकों पर पार्टी के लिए ‘संकटमोचक' की भूमिका निभा चुके हैं.

आठ बार के विधायक शिवकुमार (61) अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं और खासतौर पर हालिया चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को लेकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी खूब सराहना की है. वह वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. यह मुख्यत: कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है और कर्नाटक में लिंगायतों के बाद दूसरा सबसे प्रभावशाली समुदाय है.

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शिवकुमार ने 2002 में महाराष्ट्र में उस वक्त काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब तत्कालीन विलासराव देशमुख नीत सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री (दिवंगत) विलासराव देशमुख के खिलाफ 2002 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, तब वह शिवकुमार के संपर्क में आए. एक संकटमोचक के रूप में, शिवकुमार ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की तारीख तक, एक सप्ताह के लिए बेंगलुरु के बाहरी इलाके में अपने रिसॉर्ट में महाराष्ट्र के विधायकों को रखा था. उनके इस कदम ने देशमुख सरकार को सत्ता से बेदखल होने से बचा लिया था.''

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पार्टी के एक अन्य नेता के अनुसार, 2017 में राज्यसभा के लिए गुजरात में हुए चुनाव में कांग्रेस के (दिवंगत) नेता अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित करने में भी शिवकुमार ने ‘महत्वपूर्ण' भूमिका निभाई थी. उन्होंने उस वक्त भी गुजरात के कांग्रेस विधायकों को एक रिसॉर्ट में रखा था.

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सितंबर 2018 में शिवकुमार, नई दिल्ली में कर्नाटक भवन के एक कर्मचारी ए हनुमंथैया और अन्य के खिलाफ धन शोधन का एक मामला दर्ज किया था. यह मामला कथित कर चोरी और हवाला लेन-देन के लिए बेंगलुरु की एक अदालत के समक्ष शिवकुमार और अन्य के खिलाफ दाखिल आयकर विभाग के आरोपपत्र पर आधारित है.

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आयकर विभाग ने शिवकुमार और उनके सहयोगी एस के शर्मा पर तीन अन्य आरोपियों की मदद से ‘हवाला' के जरिये नियमित रूप से बड़ी मात्रा में बेहिसाबी नकद राशि दूसरी जगह भेजने का आरोप लगाया है. आयकर विभाग और ईडी द्वारा कई छापे मारे गए और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए.

ईडी ने तीन सितंबर, 2019 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पूछताछ के बाद शिवकुमार को गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें 23 अक्टूबर, 2019 को जमानत मिल गई. ईडी ने 26 मई, 2022 को शिवकुमार के खिलाफ धन शोधन रोधी कानून के तहत आरोपपत्र दाखिल किया.

चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में 1,413 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ तीसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं.

शिवकुमार का जन्म कनकपुरा में 15 मई, 1962 को डोड्डालहल्ली केम्पे गौड़ा और गौरम्मा के घर हुआ था. शिवकुमार ने 1980 के दशक में छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और इसके बाद वह पार्टी में आगे बढ़ते चले गए.

शिवकुमार ने अपना पहला चुनाव सथानूर विधानसभा क्षेत्र से 1989 में लड़ा था, जब वह महज 27 वर्ष के थे. गत शनिवार को कर्नाटक चुनाव के परिणाम घोषित होने पर रुंधे गले से शिवकुमार ने कहा था, ‘‘मैं पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को इस जीत का श्रेय देता हूं. लोगों ने हममें विश्वास जताया और नेताओं ने हमारा समर्थन किया. यह सामूहिक नेतृत्व है और हमने मिलकर काम किया.''

शिवकुमार ने कहा था, ‘‘मैंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से कहा था कि हम आपको कर्नाटक जीतकर देंगे.'' वोक्कालिगा समुदाय से कांग्रेस के कद्दावर चेहरे शिवकुमार ने कनकपुरा में भाजपा के वरिष्ठ नेता और छह बार के विधायक और राजस्व मंत्री आर अशोक को 1.22 लाख मतों के अंतर से हराकर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा.

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