तमिलनाडु में सत्ताधारी DMK और राज्यपाल में बढ़ा टकराव, बीजेपी ने गवर्नर का किया बचाव

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और राजभवन के बीच टकराव सोमवार को निचले स्तर पर पहुंच गया. सरकार ने राज्यपाल आर. एन. रवि पर विधानसभा में दिए अभिभाषण में कुछ अंशों को छोड़ने का आरोप लगाया.

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राज्यपाल के विरोध में DMK समर्थकों ने ट्विटर पर ‘‘हैशटैग गेटआउट रवि’’ ट्रेंड करवाया
चेन्नई:

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और राजभवन के बीच टकराव सोमवार को निचले स्तर पर पहुंच गया. सरकार ने राज्यपाल आर. एन. रवि पर विधानसभा में दिए अभिभाषण में कुछ अंशों को छोड़ने का आरोप लगाया. इसके कारण मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इस बदलाव को खारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जबकि रवि सदन से वाकआउट कर गए जो विधानसभा के इतिहास में संभवत: पहली बार हुआ है. सदन में यह पूरा नाटकीय घटनाक्रम जल्द सोशल मीडिया पर सत्तारूढ़ द्रमुक के समर्थकों और आलोचकों के बीच गर्मागर्म बहस में तब्दील हो गया. यहां तक कि ट्विटर पर ‘‘हैशटैग गेटआउट रवि'' ट्रेंड करने लगा और कई लोग रवि को राज्यपाल के पद से हटाने की मांग करने लगे.

हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई ने रवि का समर्थन किया और इसे ‘‘अपमानजनक एवं अविवेकपूर्ण'' करार दिया. वहीं, स्टालिन ने राज्यपाल की मौजूदगी में उनके खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया. इस साल सदन के पहले सत्र की शुरुआत होने पर राज्यपाल ने विधानसभा सदस्यों को संबोधित पारंपरिक अभिभाषण दिया जिसे मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) ने ‘‘निराशाजनक'' बताया और स्टालिन द्वारा पेश प्रस्ताव की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्यपाल जब वहां मौजूद थे तब मुख्यमंत्री द्वारा ‘‘कुछ कहना'' ‘‘अशोभनीय'' था.

इससे पहले रवि ने सत्तारूढ़ द्रमुक और उसकी सहयोगियी पार्टियों के विधायकों की नारेबाजी के बीच अपना अभिभाषण पढ़ा. रवि ने जैसे ही तमिल में अपना अभिभाषण शुरू किया और सदस्यों को नए साल की एवं फसल तैयार होने पर मनाए जाने वाले त्योहार ‘पोंगल' की बधाई दी, वैसे ही विधायकों ने राज्यपाल के खिलाफ हंगामा शुरू कर दिया. उन्होंने ‘‘तमिलनाडु वाझगवे'' (तमिलनाडु अमर रहे) और ‘‘एंगल नाडु तमिलनाडु'' (तमिलनाडु हमारी भूमि है) के नारे लगाए. हालांकि, कुछ देर बाद नारेबाजी बंद हो गई.

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रवि ने स्वामी विवेकानंद का संदर्भ दिया, जिससे सत्ता पक्ष नाराज हो गया. साथ ही उन्होंने अपने पारंपरिक अभिभाषण के कुछ अंशों को छोड़ दिया. उन्होंने दिवंगत ई. वी. रामास्वामी ‘पेरियार' और सी. एन. अन्नादुरई सहित प्रमुख द्रविड़ हस्तियों के नाम छोड़ दिए. अभिभाषण शुरू होने पर राज्यपाल को विधायकों के विरोध का सामना करना पड़ा जो सदन के बीचों बीच आ गए और उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे. लेकिन इससे बिना प्रभावित हुए रवि ने अपना अभिभाषण जारी रखा लेकिन राज्य सरकार की पहलों विशेषकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में शुरू किए गए ‘‘इल्लम थेड़ी कलवी'' और ‘‘मक्कलई थेड़ी मरुथुवम'' के संदर्भ में लिखे गए अहम अंश को छोड़ दिया.

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उन्होंने अभिभाषण के 65वें बिंदू को भी छोड़ दिया जिसमें कहा गया था कि सरकार सामाजिक न्याय, स्वाभिमान, समावेशी विकास, समानता, महिला सशक्तीकरण, धर्मनिरपेक्षता और सभी के प्रति करुणा के आदर्शों पर स्थापित है. राज्यपाल द्वारा छोड़े गए शब्दों में ‘द्रविड़ियन मॉडल' भी शामिल था और कुछ पहलुओं पर उन्होंने अपने विचार भी रखे. रवि ने ‘‘वझिया सेंथमीज. वझगा नटरामिझर. और वझिया भरत मणि थिरु नाडु'' कहकर अपना अभिभाषण समाप्त किया. रवि के अभिभाषण के बाद स्टालिन ने राज्यपाल द्वारा, तैयार अभिभाषण के कुछ कुछ हिस्से को छोड़ देने पर खेद जताया. मुख्यमंत्री ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्वीकृत कर लिया गया और रवि तुरंत सदन से बाहर चले गए.

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विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु द्वारा राज्यपाल के अभिभाषण को तमिल में पढ़े जाने के बाद मुख्यमंत्री खड़े हुए और रवि के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने किए गए बदलाव को खारिज करने और राज्यपाल के लिए सरकार द्वारा तैयार अभिभाषण के अंश को ही केवल सदन में वैध घोषित करने की मांग की. इससे पहले कि स्टालिन अपनी टिप्पणी समाप्त कर पाते और पहले दिन की कार्यवाही के समापन का संकेत देने के लिए राष्ट्रगान बजाया जाता, रवि उठे और सदन से चले गए.

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बाद में विधानसभा के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु ने कहा कि रवि ने सदन की परंपरा का पालन नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘उनका अभिभाषण सरकार द्वारा तैयार किया गया था और मंजूरी के लिए उनके पास भेजा गया था. हम इसे राष्ट्रगान का अपमान मानते हैं क्योंकि वह राष्ट्रगान बजाए जाने से पहले ही बाहर चले गए.'' विपक्ष के नेता अन्नाद्रमुक के, के. पलानीस्वामी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव पेश करना परंपरा के खिलाफ है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इसमें किसी भी बड़ी सरकारी परियोजना की घोषणा नहीं की गई थी और इसलिए निराशा हुई.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्यपाल के समर्थन में उतरी और सत्तारूढ़ द्रमुक और विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु की आलोचना की. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने द्रमुक और उसकी सहयोगी पार्टियों पर सोमवार को ‘‘छुटभैये तत्वों'' की तरह बर्ताव करने का आरोप लगाया.

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