कोयले की कमी ने बढ़ाई 'पावरकट' की चिंता, थर्मल प्‍लांट्स में होना चाहिए औसतन 18 दिन का कोल स्‍टॉक लेकिन..

इस कोयले संकट के बीच कुछ बिजली कंपनियों पर मुनाफाखोरी के भी आरोप लग रहे हैं.इंजीनियर फेडरेशन के शैलेन्द्र दुबे कहते हैं, "1500 हज़ार मेगावाट के  बिजलीघर बंद हैं. प्राइवेट कंपनियों ने बिजला उत्पादन में मुनाफाखोरी शुरू कर दी है."

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कोयला संकट का पावर सप्लाई पर असर पड़ने की भी आशंका है
नई दिल्‍ली:

देश के कई थर्मल पावर प्लांट्स में कोयला के घटते स्टॉक को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. इस कोयला संकट का पावर सप्लाई पर असर पड़ने की भी आशंका है. सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने ऊर्जा मंत्री और कोयला मंत्री के साथ एक अहम् समीक्षा बैठक कर कोयला की सप्लाई बढ़ाने के विकल्पों पर चर्चा की. कई इलाकों से कुछ बिजली कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी की शिकायतें भी आ रही हैं. दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा, ' पूरे देश में  कोयले का शार्टेज है. इस समय स्थिति काफी नाजुक है, कई राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को लिख चुके हैं.' उन्‍होंने कहा कि आपात स्थिति पैदा न हो, दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार के साथ मिलकर इसकी कोशिश कर रही है.

सरकार पर बढ़ते दबाव के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को ऊर्जा मंत्री आर के सिंह और कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी  के साथ 90 मिनट तक मुलाकात कर हालात की समीक्षा की.  सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के मापदंड के मुताबि,  देश के 175 थर्मल प्लांट्स के पास औसतन 18 दिन का कोयले का स्टॉक होना चाहिए लेकिन ऊर्जा मंत्री के मुताबिक थर्मल प्लांट्स के पास अभी औसतन 4 दिन के कोयले का ही स्टॉक है यानी तय स्टॉक का सिर्फ 22.22%. हालत यह है कि कई थर्मल पावर प्लांट्स के पास सिर्फ एक दिन का स्टॉक ही बचा है.इंजीनियर फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे कहते हैं, "देश में 135 थर्मल प्लांट ऐसे हैं जो कोयले से चलते हैं. इनमें से आधे से अधिक में कोयला लगभग समाप्‍त हो गया है. आधे में 2 से 2.5 दिन को कोयला बचा है. ऐसे में यूपी का भी बिजला उत्पादन प्रभावित हुआ है. 1500 हज़ार मेगावाट की बिजला घर बंद हैं". पूर्व ऊर्जा सचिव अनिल राज़दान, ने कहा, 'सिर्फ 4 दिन का औसत कोयले का स्टॉक चिंता की बात है. सरकार को अलर्ट रहना होगा , कोयले की सप्लाई की स्थिति पर नजर रखनी होगी." ऊर्जा मंत्री के मुताबिक] अक्टूबर के तीसरे हफ्ते तक बिजली की बढ़ती मांग स्थिर होने के संभावना है. तबक तक कोयला की सप्लाई भी बढ़ाई जाएगी.  

दरअसल इस कोयले संकट के बीच कुछ बिजली कंपनियों पर मुनाफाखोरी के भी आरोप लग रहे हैं.इंजीनियर फेडरेशन के शैलेन्द्र दुबे कहते हैं, "1500 हज़ार मेगावाट के  बिजलीघर बंद हैं. प्राइवेट कंपनियों ने बिजला उत्पादन में मुनाफाखोरी शुरू कर दी है. 9 रु से लेकर 21 रु प्रति यूनिट बिजली बिक रही है". पूर्व ऊर्जा सचिव  अनिल राज़दान ने कहा, "बिजनेस मैं नाजायज मुनाफा कमाने की कोशिश करना या व्यवस्था का दुरुपयोग करना ठीक नहीं है". कोयले के संकट से निपटना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. अगले कुछ दिनों में कोयले की स्थिति में तेज़ी से सुधार नहीं हुआ तो हालात और तनावपूर्ण होंगे. (दिल्‍ली से शरद शर्मा का भी इनपुट)

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