Coal Scam Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक कोयला घोटाला मामले में तीन नौकरशाहों को आरोपी बनाने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी (government sanction) मांगी है, इन तीन नौकरशाहों में से दो रिटायर हो चुके हैं. कोल घोटाले को इस केस को वर्ष 2016 में बंद कर दिया गया था लेकिन सीनियर बीजेपी नेताओं की ओर से इसके विरोध के बाद इसे दो वर्ष फिर से खोला गया था. ये नेता ही इस मामले में शिकायतकर्ता हैं. जांच एजेंसी, प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड से संबंध मामले में कोयला मंत्रालय में तत्कालीन सचिव, आईएएस एचसी गुप्ता (रिटायर) के अलावा आईएएस केएस करोफा (रिटायर) और केसी समारिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर चुकी है.
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गुप्ता उस स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन थे जिसने फरवरी 2008 में फतेहपुर कोल ब्लॉक को संयुक्त रूप से प्रकाश इंडस्ट्रीज और एक अन्य फर्म को आवंटित किया था. करोफा उस समय ज्वाइंट सेक्रेटरी थे जबकि समारिया कोयला मंत्रालय में निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. सीबीआई ने प्रकाश इंडस्ट्रीज और इसके निदेशकों के खिलाफ वरिष्ठ बीजेपी नेताओं प्रकाश जावडेकर, हंसराज अहिर और भूपेंद्र यादव की शिकायत पर वर्ष 2014 में केस दर्ज किया था. दो वर्ष के जांच के बाद जांच एजेंसी ने 2016 में यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दी थी कि किसी भी आरोपी के खिलाफ सबूत नहीं हैं.
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इस क्लोजर रिपोर्ट का तीनों बीजेपी नेताओं ने सीबीआई कोर्ट में विरोध करते हुए जांच आगे बढ़ाने की मांग की थी, जिसपर सीबीआई मार्च 2018 में सहमत हो गई थी. हालांकि अगले 20 माह में जांच में कोई भी प्रगति नहीं हुई थी. बाद में नई दिल्ली स्थित सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई के एडीशनल डायरेक्टर प्रवीण सिन्हा और दो ज्वाइंट डायरेक्र विनीत विनायक और अमित कुमार के अलावा जांच अधिकारी को समन कर इस देरी का कारण बताने को कहा था.दिसंबर 2019 में सीबीआई कोर्ट में पेश होते हुए जांच एजेंसी के अधिकारियों ने मामले की समुचित जांच कर जल्द रिपोर्ट दाखिल करने की वादा किया था.
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