उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने पिछले 100 वर्षों में सेवा के साथ कोई सौदेबाजी नहीं की है, जबकि कुछ लोगों ने भारत में और दुनिया में भी सेवा को सौदेबाजी का जरिया बना रखा है. उन्होंने आरएसएस की फंडिंग को लेकर सवाल उठाने वालों को भी जवाब दिया.
लखनऊ में जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे पास दुनिया के कई लोग, राजदूत, हाई कमिश्नर वगैरा आते हैं और पूछते हैं कि क्या आरएसएस से आपका जुड़ाव है? हम कहते हैं कि हां, हमने आरएसएस में एक स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया है. वो पूछते हैं कि ये इतना बड़ा संगठन कैसे हो गया, इसकी फंडिंग का पैटर्न क्या है.
आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की मौजूदगी में इसका जवाब देते हुए सीएम योगी ने आगे कहा कि हम कहते हैं कि आरएसएस की फंडिंग का कोई पैटर्न नहीं है. कोई ओपेक के देश यहां पैसे नहीं देते, यहां कोई इंटरनेशनल चर्च पैसा नहीं देता. यहां समाज के सहयोग से संगठन खड़ा हो रहा है, और समाज के भले के लिए समर्पित भाव से कार्य करता है.
सीएम योगी ने कहा कि कुछ लोगों ने भारत और विश्व में सेवा को सौदेबाजी का माध्यम बनाया है. वो लोभ, लालच, दबाव से भारत की डेमोग्राफी को बदलने के लिए, हर प्रकार के छल और छद्म का सहारा लेकर के, अपना ताना-बाना बदलकर कर भारत की आत्मा पर प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने पूरे भारत को धर्मक्षेत्र माना इसलिए युद्ध का मैदान भी हमारे लिए धर्मक्षेत्र ही है... धर्मक्षेत्र में जो युद्ध लड़ा जा रहा है, वह कर्तव्यों के लिए लड़ा जा रहा है. यही भाव सामने आता है तो अंत में परिणाम यह होता है कि जहां धर्म और कर्तव्य होगा, वहीं विजय होगी, इससे इतर कुछ नहीं हो सकता. किसी को गुरूर नहीं पालना चाहिए कि अधर्म के मार्ग पर चलकर विजय प्राप्त हो जाएगी.














