पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच दरार मंगलवार को और बढ़ गई. अमरिंदर सिंह ने पटियाला से उनके खिलाफ खड़े होने के लिए अपने पूर्व मंत्री सिद्धू को चुनौती दी. पटियाला वह विधानसभा क्षेत्र है जहां से अमरिंदर लगातार चार चुनाव जीत चुके हैं. मुख्यमंत्री ने सिद्धू से कहा कि उन्हें बीजेपी के जनरल (रिटायर्ड) जेजे सिंह की तरह पराजित किया जाएगा, जिन्होंने 2017 का चुनाव लड़ा था और उन्हें केवल 11.1 प्रतिशत वोट मिले थे जिसके परिणामस्वरूप उनकी जमानत जब्त हो गई थी.
अमरिंदर ने एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि "मुझे नहीं पता कि वह कहां जाएंगे या किस पार्टी में शामिल होंगे. अकाली दल उनसे नाराज है और बीजेपी उन्हें स्वीकार नहीं करेगी... इसलिए संभावना है कि आम आदमी पार्टी (AAP) में जाएं. अगर वह पटियाला से मेरे खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उनकी भी जनरल जेजे सिंह की तरह हश्र होगा, जिन्होंने अपनी जमानत खो दी थी.” पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होगा.
पूर्व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर नवजोत सिद्धू ने इस पर एक ट्वीट किया कि "पंजाब की अंतरात्मा को पटरी से उतारने का प्रयास विफल हो जाएगा... मेरी आत्मा पंजाब है और पंजाब की आत्मा गुरु ग्रंथ साहिबजी हैं ... हमारी लड़ाई न्याय के और दोषियों को दंडित करने के लिए है... एक विधानसभा सीट ही चर्चा लायक नहीं है.”
सिद्धू ने जुलाई 2019 में लोकसभा चुनाव में एक महीने की कड़ी मेहनत के बाद कांग्रेस के प्रदर्शन में अपने योगदान (या कमी) को लेकर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. तब से दोनों नेताओं के बीच कड़वाहट सामने आती रही.
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के इसी हफ्ते आए फैसले में 2015 कोटकपुरा फायरिंग मामले में हुई जांच के निष्कर्षों को खारिज कर दिया. इस मामले में पुलिस ने कथित रूप से गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने का विरोध कर रहे लोगों पर गोलियां चलाईं थीं.
इसको लेकर सिद्धू ने अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाया है. अमरिंदर विपक्ष और उनकी अपनी पार्टी के भीतर भी आलोचना का सामना कर रहे हैं. उक्त घटना के समय शिरोमणि अकाली दल सत्ता में था. पंजाब कांग्रेस के प्रमुख सुनील जाखड़ और मंत्री सुखजिंदर रंधावा इस बात से नाराज हैं कि वे इस तार्किक निष्कर्ष पर एसआईटी की जांच कराने में असफल रहे हैं. उन्होंने इस्तीफे पेश कर दिए हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ने उनके त्याग पत्र अस्वीकार कर दिए हैं.
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए राज्य के प्रभारी हरीश रावत को जिम्मा सौंपा था. लेकिन मुख्यमंत्री की ताजा टिप्पणी से उनका काम और कठिन हो जाएगा.