सरकार ने आज लोकसभा में बताया कि जलवायु परिवर्तन का देश की कृषि पर क्या प्रभाव पड़ेगा. सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन का असर रबी, खरीब और जायद की फसलों पर पड़ेगा. इससे जमीन की उत्पादकता भी प्रभावित होगी. दरअसल हरियाणा के भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद धर्मवीर सिंह ने सरकार से इसको लेकर कुछ सवाल पूछे थे.बीजेपी के इस सांसद ने पूछा था कि क्या सरकार ने देश के कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव,खासतौर पर मिट्टी के क्षरण, बारिश के पैटर्न और फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव को लेकर हाल में कोई अध्ययन कराया है क्या. उन्होंने इन अध्ययनों का निष्कर्षों के बारे में भी जानना चाहा था.
जलवायु परिवर्तन का फसलों पर कितना पड़ेगा प्रभाव
धर्मवीर सिंह के सवाल का जवाब कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिया.उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जलवायु परिवर्तन का प्रभाव आंकने के लिए सिमुलेशन मॉडलिंग अध्ययन किया है.उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में मिट्टी के क्षरण, बारिश के पैटर्न और फसल उत्पादन पर प्रभाव का विश्लेषण किया गया है.
कृषि मंत्री ने बताया कि इस अध्ययन में पाया गया कि खरीफ की बारिश में 2050 तक 4.9-10.1 फीसदी की बढोतरी हो सकती है. इसी तरह से 2080 तक यह 5.5-18.9 फीसदी तक बढ़ सकती है. वहीं रबी की बारिश 2050 तक 12-17 फीसदी और 2080 तक 13-26 फीसदी तक बढ़ सकती है. कृषि मंत्री ने बताया कि बारिश में हुई इस बढ़ोतरी से 2050 तक प्रति हेक्टेयर 10 टन मिट्टी का क्षरण होने की आशंका है.
किन फसलों की पैदावार होगी कम
उन्होंने कहा कि यदि जलवायु अनुकूलन उपायों को नहीं अपनाया गया तो 2050 तक बारिश पर आश्रित धान का उत्पादन 20 फीसदी और 2080 तक 10-47 फीसदी तक घट सकता है.वहीं सिंचाई पर आश्रित धान का उत्पादन 2050 तक 3.5 फीसदी और 2080 तक पांच फीसदी तक घट सकता है.इसी तरह से गेहूं की पैदावार 2050 तक 19.3 फीसदी और 2080 तक 40 फीसदी तक घटने की आशंका है. खरीफ मक्का का उत्पादन 2050 तक 10-19 फीसदी और 2080 तक 20 फीसदी से अधिक घट सकता है.
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