नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए धमाके को लेकर आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) के दावों को जम्मू कश्मीर पुलिस ने निराधार बताया है. ऐसी ही एक खबर पर टिप्पणी करते हुए पुलिस ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पीएएफएफ या किसी अन्य आतंकवादी समूह का दावा साफतौर पर झूठा, निराधार और शरारतपूर्ण है. हालांकि इससे पहले ऐसी संभावनाओं पर विराम लगाते हुए गृह मंत्रालय यह साफ कर चुका है कि नौगाम में हुआ धमाका एक दुर्घटना है और इसकी अन्य अटकलें अनावश्यक हैं. गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने कहा घटना के कारणों की जांच की जा रही है.
शुक्रवार देर रात नौगाम पुलिस स्टेशन में रखे हुए विस्फोटक में हुए धमाके में 9 लोगों की मौत हुई है और 27 अन्य घायल हुए हैं. हालांकि पाकिस्तान से जुड़ा आतंकी संगठन पीएएफएफ इस घटना के पीछे जानबूझकर अपना हाथ होने का दावा कर रहा है. इससे पहले ऑपरेशन सिन्दूर के पहले चरण में ऐसे ही तत्वों ने लंबी चौड़ी भारत विरोधी खबरें छापी थीं, लेकिन सरकार के पीआईबी फैक्ट चेक विभाग ने देश और दुनिया के सामने असलियत सामने लाकर इनकी पोल खोल दी.
गौरतलब है कि पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट मौलाना मसूद अजहर के नेतृत्व वाले जैश-ए-मोहम्मद का ही एक शैडो ऑर्गेनाइजेशन है. गृह मंत्रालय ने 6 जनवरी, 2023 कोइस संगठन को जैश का छद्म संगठन घोषित किया था. यह एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है जिसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रथम अनुसूची में सूचीबद्ध किया गया है. गृह मंत्रालय कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिए पीएएफएफ पर प्रतिबंध लगाया था.
जैश-ए-मोहम्मद ने 6 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद इसकी स्थापना की. इस साल 27 मार्च को दो पाकिस्तानी पीएएफएफ आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में एसओजी के 4 पुलिसकर्मियों पर हमला कर उनकी हत्या कर दी थी. पीएएफएफ कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों की हत्या करने और पत्रकारों को धमकाने सहित कई हमलों में भी शामिल रहा है. साल 2021 में बीजेपी नेता राकेश पंडिता हत्या के पीछे भी पीएएफएफ आतंकियों का हाथ था. सुरक्षा बलों की नज़रों से बचने के लिए यह मुख्य रूप से हाइब्रिड उग्रवाद पर निर्भर करता है.














