न्यायिक प्रक्रिया पर कोई असर नहीं... ; पीएम मोदी के गणेश पूजा में आने पर उठे सवालों के जवाब में CJI

प्रधानमंत्री के मुख्य न्यायाधीश के घर पर जाने और गणेश पूजा में भाग लेने वाले नजारे ने एक राजैनितक बहस छेड़ दी थी, जिसमें विपक्ष ने कहा था कि इस तरह की बैठकें संदेह पैदा करती हैं.

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गणेश पूजा में शामिल होने सीजेआई के घर पहुंचे थे पीएम मोदी
नई दिल्ली:

पीएम मोदी पिछले दिनों गणेश पूजा के लिए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के घर पहुंचे थे. जैसे ही ये खबर आई वैसे ही इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया. विपक्ष ने इसको लेकर कई सवाल भी उठाएं. अब इस मामले पर खुद सीजेआई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीजेआई ने कहा कि ऐसी बैठकों में न्यायिक मामलों पर चर्चा नहीं होती है. लोकसत्ता के एनुअल लेक्चर में एक सवाल के जवाब में सीजेआई ने कहा कि मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के लिए नियमित बैठकें आयोजित करना एक परंपरा है.

लोग सोचते हैं कि ये बैठकें क्यों होती हैं...

सीजेआई ने कहा, "लोग सोचते हैं कि ये बैठकें क्यों होती हैं, हमारी राजनीतिक व्यवस्था की परिपक्वता इस बात में निहित है कि राजनीतिक वर्ग में भी न्यायपालिका के प्रति बहुत अधिक सम्मान है. यह जगजाहिर है. न्यायपालिका का बजट राज्य से आता है. यह बजट न्यायाधीशों के लिए नहीं है. हमें नए न्यायालय भवन चाहिए, जिलों में न्यायाधीशों के लिए नए आवास चाहिए. इसके लिए मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री की बैठकें जरूरी हैं." मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. "जब मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति होती है, तो वे मुख्यमंत्री के घर जाते हैं. फिर मुख्यमंत्री मुख्य न्यायाधीश के घर आते हैं. इन बैठकों में एजेंडा तय होता है. मान लीजिए, राज्य में 10 परियोजनाएं चल रही हैं, इंफ्रा क्या है, बजट क्या है? मुख्यमंत्री इन परियोजनाओं की प्राथमिकताएं बताते हैं. क्या इसके लिए आपको मिलना नहीं पड़ेगा? अगर यह कागजों पर होता रहेगा, तो काम कभी पूरा नहीं होगा."

न्यायिक प्रक्रिया पर कोई असर नहीं

इसके साथ ही कहा, "राजनीतिक व्यवस्था में काफी परिपक्वता है. इन बैठकों के दौरान मुख्यमंत्री कभी भी किसी लंबित मामले के बारे में नहीं पूछते. 14 अगस्त और 26 जनवरी को शादी या शोक के अवसर पर मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश एक-दूसरे से मिलते हैं, इससे न्यायिक कार्य पर कोई असर नहीं पड़ता. यह एक मजबूत संवाद का हिस्सा है." प्रधानमंत्री के मुख्य न्यायाधीश के घर पर जाने और गणेश पूजा में भाग लेने वाले नजारे ने एक बड़ा राजनीतिक बखेडा खड़ा कर दिया था, जिसमें विपक्ष ने कहा था कि इस तरह की बैठकें संदेह पैदा करती हैं.

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पीएम के सीजेआई के घर जाने पर क्या बोला विपक्ष

राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने सुझाव दिया था कि मुख्य न्यायाधीश को शिवसेना यूबीटी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच झगड़े से जुड़े मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए. राउत ने कहा, "देखिए, गणपति उत्सव है. प्रधानमंत्री अब तक कितने लोगों के घर गए हैं? मुझे इसकी जानकारी नहीं है. दिल्ली में कई जगहों पर गणेश उत्सव मनाया जाता है, लेकिन प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश के घर गए और प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश ने मिलकर आरती की. भगवान के बारे में हमारा ज्ञान ऐसा है कि अगर संविधान के संरक्षक इस तरह से राजनीतिक नेताओं से मिलते हैं, तो लोगों को संदेह होता है," मुझे ऐसा लगता है कि ऐसी परंपरा है कि ऐसे मामलों में अगर कोई पक्ष है और जज का उससे कोई संबंध है या ऐसा लगता है कि उसका उससे कोई संबंध है, तो वह खुद को उस मामले से अलग कर लेते हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि चंद्रचूड़ साहब को खुद को इससे अलग कर लेना चाहिए," 

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राज्यसभा सांसद मनोज झा का भी सवाल

आरजेडी नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा था कि संस्थाओं की स्वतंत्रता को देखा जाना चाहिए. "गणपति पूजा एक निजी मामला है, लेकिन आप कैमरा ले जा रहे हैं. इससे जो संदेश जाता है, वह असहज है. भारत के मुख्य न्यायाधीश और प्रधानमंत्री बड़े व्यक्तित्व वाले हैं. इसलिए अगर वे इन तस्वीरों को सार्वजनिक करने के लिए सहमत हो गए तो हम क्या कह सकते हैं."

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विपक्ष की आलोचना पर भाजपा का जवाब

भाजपा ने विपक्ष की आलोचना का तीखा जवाब दिया है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जो लोग इफ्तार पार्टियों में प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी की सराहना करते हैं, वे प्रधान न्यायाधीश के घर गणेश पूजा में प्रधानमंत्री को देखकर "घबरा जाते हैं". एक्स पोस्ट में लिखा, "वही लोग जो इफ्तार में प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी की सराहना करते हैं और प्रोत्साहित करते हैं, वे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर प्रधानमंत्री मोदी को गणपति पूजन करते देखकर घबरा जाते हैं. भारत भर में करोड़ों भक्तों द्वारा पूजे जाने वाले भगवान के समक्ष कार्यपालिका और न्यायपालिका द्वारा प्रार्थना करना भारतीय धर्मनिरपेक्षता की वास्तविक ताकत को दर्शाता है."

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डीवाई चंद्रचूड़ इस दिन हो रहे हैं रिटायर

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने विपक्ष की आलोचना पर निशाना साधते हुए टिप्पणी की कि 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन ने भाग लिया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के रूप में उनकी जगह लेंगे.

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