"मैं स्तब्ध रह गया था लेकिन..." जूता कांड पर क्या बोले सीजेआई बीआर गवई, जानें

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि मिलॉर्ड! मैंने इस बारे में एक लेख भी लिखा था. कुछ ऐसी ही घटना 10 साल पहले अदालत में हुई थी. उस समय अवमानना की शक्तियों और उन पर कार्यान्वयन की प्रक्रिया को लेकर दो जजों ने अपनी राय दी थी कि ऐसी परिस्थिति में क्या होनी चाहिए.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
(फाइल फोटो)
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • चीफ जस्टिस बी आर गवई ने जूता फेंकने की घटना को इतिहास का एक बीता हुआ अध्याय बताया
  • अदालत कक्ष में प्रधान न्यायाधीश और उनके साथियों ने सोमवार को हुई घटना पर स्तब्धता जताई
  • वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने बताया कि 10 साल पहले भी ऐसी घटना हुई थी और उस पर दो जजों ने अलग राय दी थी
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

चीफ जस्टिस बी आर गवई ने जूता कांड के तीन दिन बाद इस मुद्दे पर बात की. अदालत कक्ष में उन्होंने कहा कि मेरे साथी और मैं सोमवार को हुई घटना से स्तब्ध हो गए थे लेकिन अब हमारे लिए वो बीता हुआ समय यानी इतिहास का एक पन्ना या अध्याय है.

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि मिलॉर्ड! मैंने इस बारे में एक लेख भी लिखा था. कुछ ऐसी ही घटना 10 साल पहले अदालत में हुई थी. उस समय अवमानना की शक्तियों और उन पर कार्यान्वयन की प्रक्रिया को लेकर दो जजों ने अपनी राय दी थी कि ऐसी परिस्थिति में क्या होनी चाहिए.

जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि इस पर मेरी राय तो ये है कि वे देश के चीफ जस्टिस हैं. यह कोई मजाक की बात नहीं है. इसके बाद किसी को भी मैं किसी प्रकार का माफीनामा नहीं दिया. यह पूरे संस्थान पर आघात है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश पर हमले का प्रयास अक्षम्य, उदारता दिखाने के लिए न्यायाधीश की सराहना की.

जूता फेंकने के प्रयास के मामले में प्रधान न्यायाधीश ने अपना रुख दोहराते हुए कहा, ‘हमारे लिए यह एक भुलाया जा चुका अध्याय है.

Featured Video Of The Day
Shubhankar Mishra: Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान की नई साजिश! PAK | Kachehri | Jaish e mohammad