राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के विशेष आमंत्रण पर मुख्य न्यायाधीश डॉ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट के जजों ने राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान का दौरा किया. इस बारे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भी जानकारी साझा की गई. राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से किए गए ट्वीट में लिखा, "राष्ट्रपति के विशेष आमंत्रण पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ समेत सुप्रीम कोर्ट के जजों ने राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान का दौरा किया." सोशल मीडिया पर शेयर की गई फोटोज में राष्ट्रपति संग CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट के जज नजर आ रहे हैं.
सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीर
राष्ट्रपति भवन के ‘मुगल गार्डन' का नाम बदलकर हाल ही में ‘अमृत उद्यान' किया गया. मूल रूप से, राष्ट्रपति भवन के उद्यान में ईस्ट लॉन, सेंट्रल लॉन, लॉन्ग गार्डन और सर्कुलर गार्डन शामिल हैं. पूर्व राष्ट्रपतियों डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के दौरान, हर्बल-एक, हर्बल-दो, बोन्साई गार्डन और आरोग्य वनम नामक कई उद्यान विकसित किए गए थे.
इस साल के उद्यान उत्सव में, कई अन्य आकर्षणों के बीच, आगंतुक 12 अनूठी किस्मों के विशेष रूप से उगाए गए ट्यूलिप देख पाएंगे. लोग अपने स्लॉट पहले से ही ऑनलाइन बुक कर सकते हैं. ऑनलाइन स्लॉट बुक नहीं कराने की स्थिति में भी आगंतुकों को उद्यानों में प्रवेश मिल सकता है. हालांकि, भीड़ से बचने और समय बचाने के लिए पहले से स्लॉट ऑनलाइन बुक करने की सलाह दी जाती है.
अमृत उद्यान 15 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 150 से अधिक किस्मों के गुलाब, और ट्यूलिप, एशियाई लिली, डैफोडील्स और अन्य सजावटी फूल हैं. मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान किए जाने से पूर्व सरकार ने पिछले साल दिल्ली के प्रतिष्ठित ‘राजपथ' का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ' कर दिया था. केंद्र का कहना है कि इन चीजों के नाम में बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता के निशान को हटाने का प्रयास है.
राष्ट्रपति भवन के प्रसिद्ध उद्यानों का इतिहास फूलों के सुगंधित भंडार जितना समृद्ध है, और राष्ट्रपति भवन (मूल रूप से वायसराय हाउस के रूप में निर्मित) के निर्माण के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे वास्तुकार सर एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था. वर्ष 1911 में, किंग जॉर्ज ने दिल्ली में एक भव्य दरबार आयोजित किया, जहां उन्होंने राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की भी घोषणा की थी.
लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने वायसराय हाउस और नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को ‘नयी दिल्ली' के केंद्र में रखकर नयी शाही राजधानी को आकार दिया. शहर को आधिकारिक तौर पर 1926 में नामित किया गया था. स्वतंत्रता के बाद, वायसराय हाउस राष्ट्रपति भवन बन गया और रायसीना हिल से इंडिया गेट तक फैले ‘किंग्स-वे' का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया.
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