हरियाणा में बीजेपी ने आरक्षण के भीतर आरक्षण को लागू कर दिया है लेकिन केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने साफ कर दिया है कि वह पूरी तरह से इसके खिलाफ हैं. इस हफ्ते अपनी पहली बैठक में, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोटा को विभाजित करने और इसका एक हिस्सा उन उप-समूहों को देने का फैसला किया है, जिनका रोजगार और शिक्षा में कम प्रतिनिधित्व है.
इस बारे में रिपोर्टर से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, "लोक जनशक्ति पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वो इसका समर्थन नहीं करती है. मुझे लगता है कि जाति की नहीं जमात की बात होनी चाहिए." उन्होंने आगे कहा, खासतौर पर तब जब आप अनुसूचित जाति का जिक्र करते हैं जिसका आधार छुआछूत रहा है, जब तक यह मानसिकता या इस सोच के लोग जो आज भी छुआछूत की भावना रखते हैं... ऐसी परिस्थितियों में अगर इस तरह का सब-क्लासिफिकेशन हुआ तो इससे समस्याएं पैदा होंगी और इस तरह का विभाजन कायम रहेगा."
वर्तमान में शेड्यूल कास्ट के लिए 15 प्रतिशत रिजर्वेशन है और वहीं शेड्यूल ट्राइब्स के लिए यह रिजर्वेशन 7.5 प्रतिशत है.
वर्ष 2004 में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समुदायों के भीतर उप-जातियों को तरजीह देने पर रोक लगा दी थी और कहा था कि अनुसूचित जातियां और जनजातियां समरूप समूह हैं. लेकिन 1 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय की सात न्यायाधीशों की पीठ ने सकारात्मक कार्रवाई के लिए आरक्षित श्रेणी समूहों के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति दे दी है.
हरियाणा सरकार ने कहा कि अब वह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उन उप-समूहों को 22.5 प्रतिशत आरक्षण के भीतर विशिष्ट कोटा आवंटित करने में सक्षम होगी, जिनका रोजगार और शिक्षा में प्रतिनिधित्व कम है. हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले अगस्त में हरियाणा शेड्यूल कास्ट कमीशन ने दलित कम्यूनिटी को दो कैटेगरी में विभाजित करने की सलाह दी थी - एक वंचित अनुसूचित जातियां और अन्य अनुसूचित जातियां. इस कदम से भाजपा को अनुसूचित जाति के वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल करने में मदद मिली, जिससे समुदाय के प्रभाव वाली सीटों पर उसका स्कोर पांच से बढ़कर 17 हो गया.