China scam center : म्यांमार के भारतीय दूतावास ने बताया है कि म्यांमार के म्यावाड्डी में श्वे को को स्थित स्कैम सेंटर में फंसे 11 भारतीयों को 19 जुलाई 2024 को म्यांमार के अधिकारियों और स्थानीय सहायता के सहयोग से रिहा करा लिया गया. श्वे को को का चीन कनेक्शन है. इसे चीन का जामताड़ा भी कहा जाता है. यहां भारत सहित एशियाई देशों के नागरिकों को धोखे से नौकरी के बहाने बुलाया जाता है और फिर उनसे धोखाधड़ी करवाई जाती है. यह साइबर धोखाधड़ी होती है. यहां काम करने वाले लोगों को हर महीने निश्चित सैलरी तो मिलती है, लेकिन बर्ताव जानवरों सा किया जाता है. एक छोटे से कमरे में 5-5 लोगों को रखा जाता है. नाश्ते से लेकर खाने तक का एक समय तय है. अगर उस समय किसी कारण से कर्मचारी ने खाना नहीं खाया तो उसे फिर खाने का मौका नहीं दिया जाता. हर कमरे में जासूस भी रखे जाते हैं और आपस में ज्यादा बात करने पर भी मनाही है. अगर कोई कर्मचारी काम छोड़ना भी चाहे तो इसकी इजाजत नहीं मिलती. भागने की कोशिश करने वाले को मारा-पीटा जाता है. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि भारत सरकार को क्यों इन्हें रिहा करने के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ी.
भारत को कैसे पता चला?
हाल ही में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साइबर अपराधियों के खिलाफ मानव तस्करी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के पहलू की जांच करते हुए सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भारतीयों की कंबोडिया, लाओस और म्यांमार में तस्करी में शामिल है. इन जगहों पर उन्हें "चीनी" साइबर अपराध में धकेल दिया जाता है. दो महीने पहले, गृह मंत्रालय ने साइबर संबंधी शिकायतों की जांच करते समय चीन कनेक्शन पाया था. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) में प्रतिदिन औसतन लगभग 7,000 साइबर-संबंधी शिकायतें दर्ज की जाती हैं और अधिकांश धोखाधड़ी तीन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों कंबोडिया, म्यांमार और लाओस में होती है. अपराध करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कई वेब एप्लिकेशन मंदारिन में लिखे मिले हैं. यहीं से चीन कनेक्शन का भारत को पता चला.
सद्दाम की कहानी
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में पीड़ितों में से एक महाराष्ट्र के पालघर निवासी सद्दाम शेख की केस स्टडी का जिक्र किया है. सद्दाम को दक्षिण दिल्ली स्थित एक मैनपावर कंसल्टेंसी फर्म में काम करने वाले दो व्यक्तियों से वाट्सएप कॉल मिली थी, जिसमें उन्हें थाईलैंड में नौकरी के बारे में बताया गया था. वह उनके कार्यालय गया और मालिक व एक एजेंट से मिला. एजेंट ने वीजा हासिल करने के लिए उससे 1.4 लाख रुपये लिए. 10 फरवरी को वह कोलकाता से बैंकॉक के लिए रवाना हो गया. बैंकॉक हवाई अड्डे पर, उसकी मुलाकात एक अन्य एजेंट से हुई. उसने उससे पैसे लिए और उसे चियांग ले गया. वहां से उसे लाओस ले जाया गया. वहां उसे अन्य चीनी एजेंटों के साथ-साथ भारतीय एजेंटों से भी मिलवाया गया.सद्दाम को क्रिप्टोकरेंसी निवेश योजनाओं के माध्यम से भारत, कनाडा और अमेरिका में लोगों को धोखा देने के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल पर काम करने के लिए मजबूर किया गया. वह स्कैम सेंटर से किसी तरह भागने में कामयाब रहा और बैंकॉक पहुंच गया, जहां से वह 19 अप्रैल को भारत वापस आया.
चीनी भगोड़े की है कंपनी?
बताया जाता है कि इस सेंटर को पिछले पांच वर्षों में सैन्य-गठबंधन कायिन राज्य सीमा रक्षक बल द्वारा यताई इंटरनेशनल के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है. यह कंपनी एक चीनी भगोड़े की अध्यक्षता वाली हांगकांग-पंजीकृत कंपनी है. 2020 से पहले यह शहर ऑनलाइन जुए का एक कथित केंद्र था. महामारी के दौरान, यह ऑनलाइन घोटालों में शामिल हो गया, जो म्यांमार के सीमावर्ती इलाकों के साथ-साथ कंबोडिया में भी बड़े पैमाने पर फैल गया है. घोटालों के अपराधियों को अक्सर वैध नौकरियों के झूठे वादे के साथ लालच दिया जाता है, फिर उनकी इच्छा के विरुद्ध पकड़ लिया जाता है और पीड़ितों को कंपनी में पैसे भेजने के लिए मजबूर किया जाता है.
कैसे करते हैं धोखाधड़ी?
स्कैम सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों फोन पर सामने वाले को यह विश्वास दिलाते हैं कि वह उनका दोस्त या मददगार है. कभी-कभी खुद को ऑनलाइन प्रेमी या बिजनेस के जानकार बताते हैं. उसके बाद वे स्कैम सेंटर के एक फर्जी व्यवसाय के बारे में बताते और फोन पर दूसरे तरफ के शख्स को इसमें निवेश करने के लिए मनाते हैं. वह बताते हैं कि इससे लाखों-करोड़ों का मुनाफा होगा. एक बार पैसा जमा हो जाने के बाद, वह संपर्क बंद कर देते हैं. एक स्पेशल टीम सिर्फ टारगेट पर्सन की तलाश में रहती है. टारगेट पर्सन मिल जाने पर इन लोगों को उसके फोन नंबर और जानकारी दे दी जाती है. इसके बाद ये खेल शुरू हो जाता है. हालांकि, इतने लोगों को धोखा देने के बाद भी इन्हें 40,000 क्यात मिलते हैं. एक क्यात की कीमत रुपये 26 पैसे है. इसके साथ ही इन लोगों को सप्ताह में बस एक दिन छुट्टी मिलती है. यही कारण है कि यहां आने वाले को फिर जाने का ये मौका नहीं देते. तभी भारत सरकार को अपने नागरिकों को छुड़ाने के लिए प्रयास करना पड़ा. हालांकि, बताया जाता है कि करीब पांच हजार भारतीय अलग-अलग स्कैम सेंटरों में फंसे हुए हैं.