कफ सिरप से मौत: मासूमों को 'जहर' देने वाला डॉक्टर हुआ गिरफ्तार, श्रीसन कंपनी के खिलाफ भी मामला दर्ज

इस मामले में छिंदवाड़ा पुलिस ने देर रात ही मामला दर्ज किया था. मामला दर्ज किए जाने के कुछ देर बाद ही आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया.

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कफ सिरप मामले में पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को किया गिरफ्तार
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  • छिंदवाड़ा में जहरीला कोल्ड्रिफ कफ सिरप लिखने के आरोप में डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया गया है
  • जहरीला सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत हुई है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच शुरू की थी
  • मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पूरे प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है
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भोपाल:

कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा पुलिस ने आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया है. डॉ. प्रवीण सोनी पर जहरीला सिरप  प्रिस्क्राइब (लिखा) करने का आरोप है. पुलिस ने प्रवीश सोनी को शनिवार देर रात गिरफ्तार किया है. आपको दें कि मध्य प्रदेश में जहरीला कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत हो चुकी है. जहरीला कफ सिरप लिखने को लेकर स्वास्थ्य विभाग से बीएमओ अंकित ने की शिकायत की थी. इस मामले में देर डॉक्टर प्रवीण सोनी और श्रीसन कंपनी के खिलाफ एफआईआर की गई और इसके बाद ही प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया गया. 

लापरवाही की वजह से हुई बच्चों की मौत, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

छिंदवाड़ा में सिरप से बच्चों की मौत को लेकर मध्य प्रदेश सरकार की रिपोर्ट आ गई है. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों की मौत लापरवाही के कारण हुई है. जो सिरप बच्चों को दिया गया उसमें 46.2 फीसदी डायएथिलिन ग्लायकॉल की मात्रा मिली है. इसकी इतनी ज्यादा मात्रा ही बच्चों की मौत की एक वजह हो सकती है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी डॉक्टर प्राइवेट क्लीनिक से ये दवा लोगों को लिखते रहे. इतना ही नहीं नागपुर से बायोप्सी रिपोर्ट आने के बावजूद भी प्रिस्क्राइब  करता रहा यह सिरप

आपको बता दें कि एमपी में सिरप से जब छह बच्चों की मौत के बाद ही प्रशासन एक्टिव हुआ था. अब ये रिपोर्ट इस मामले में पांच दिन की जांच के बाद सामने आई है. ये सिरप मध्य प्रदेश में बैन होने से पहले राजस्थान और तमिलनाडु में पहले बैन की गई थी. 

बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार भी एक्शन मोड में दिख रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विवादों में आए कोल्ड्रिफ कफ सिरप पूरे प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया गया है. साथ ही मानकों पर खरी न उतरने वाली दवा को छापामारी करके जब्त करने के निर्देश दिए हैं. सीएम मोहन यादव ने शनिवार को कहा था कि दोषियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने मृतक बच्चों के परिजनों के लिए आर्थिक सहायता और बीमार बच्चों का इलाज कराने की भी घोषणा की है. 

11 बच्चों के परिजनों को 4-4 लाख की सहायता

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत बहुत दुखद है.कफ सिरप की जांच रिपोर्ट आने पर मध्य प्रदेश में इस सिरप की बिक्री को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है. प्रदेश में छापेमारी अभियान चलाकर कोल्ड्रिफ सिरप को जब्त किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि छिंदवाड़ा में इस सिरप के कारण जिन 11 बच्चों को मृत्यु हुई है, उनके परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी. जो बच्चे बीमार है, उनके इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी.

कोल्ड्रिफ सिरप बैन, CM ने दिये ये निर्देश 

मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री के शनिवार को एक आदेश जारी किया था. इसके तहत कहा गया था कि सिरप के सैंपल मिलावटी पाए गए हैं, क्योंकि इसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल (48.6% w/v) है जो जहरीला पदार्थ है. ये सामग्री को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना सकता है. इसलिए 'कोल्ड्रिफ सिरप' की बिक्री को तुरंत रोकने का निर्देश दिया जाता है.

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  • यदि विषयगत औषधि उपलब्ध पाई जाती है, तो औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 तथा इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के अनुसार, आवश्यक कार्रवाई करें तथा औषधि का निपटान न करने के निर्देश के साथ उसे तुरंत फ्रीज कर दें.
  • संबंधित औषधि की बिक्री तत्काल प्रभाव से रोकें तथा अपने अधिकार क्षेत्र में बिक्री/वितरण के लिए इसकी अनुपलब्धता सुनिश्चित करें.
  • परीक्षण/विश्लेषण के लिए विषयगत औषधि का नमूना लें और परीक्षण/विश्लेषण के लिए तुरंत औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं को भेजें (केवल हाथ से).
  • सुनिश्चित करें कि आपके क्षेत्राधिकार में अन्य बैचों के कोल्ड्रिफ सिरप की उपलब्धता न हो. यदि उपलब्ध हो, तो परीक्षण/विश्लेषण के लिए नमूने लें और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अनुसार दवा का निपटान न करने के निर्देश के साथ उन्हें तुरंत फ्रीज कर दें.
  • व्यापक जनहित में, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अनुसार श्रीसन फार्मास्युटिकल, नंबर 787, बंगलौर हाईवे, सुंगुवाचत्रम (मथुरा) कांचीपुरम जिला, 602106 द्वारा निर्मित अन्य सभी उत्पादों की बिक्री और वितरण को रोकने और परीक्षण/विश्लेषण के लिए कानूनी नमूने लेने का निर्देश दिया जाता है.
  • संबंधित दवा की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखना.
     


 

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