छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा एक इंजीनियर का अपहरण किए जाने के कुछ दिनों बाद उसकी रिहाई के लिए पत्नी सोनाली पवार ने भावनात्मक अपील की, लेकिन आखिरकार उन्होंने खुद अपने पति की तलाश करने का फैसला किया और अपनी नाबालिग बेटी के साथ अबूझमाड़ के घने जंगलों में दाखिल हो गयी. यह जंगल नक्सलियों का गढ़ माना जाता है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी.
नक्सलियों ने मंगलवार शाम को इंजीनियर अशोक पवार और कर्मचारी आनंद यादव को रिहा कर दिया लेकिन सोनाली अभी भी जंगल के अंदर है. सोनाली स्थानीय पत्रकारों और पुलिस अधिकारियों के संपर्क में है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) पंकज शुक्ला ने बुधवार को कहा, ‘‘अशोक पवार और आनंद यादव को फिलहाल बीजापुर के कुटरू में रखा गया है. सोनाली अपने पति से मिलने के लिए जल्द ही कुटरू पहुंचेगी.''
एक स्थानीय पत्रकार ने कहा कि भावनात्मक वीडियो जारी करने के बाद, जिसमें उन्होंने अपनी बेटियों की खातिर अपने पति को रिहा करने के लिए कहा था. सोनाली छत्तीसगढ़ में बीजापुर और नारायणपुर जिलों के साथ अबूझमाड़ जंगल में उनकी तलाश करने के लिए दाखिल हो गयीं.
बीजापुर में हिंदी दैनिक समाचार पत्र के लिए काम करने वाली पत्रकार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सोनाली ने पत्रकारों की मदद से कुछ स्थानीय लोगों से संपर्क किया और (उनकी मदद से) बीजापुर और नारायणपुर की सीमा से अबूझमाड़ जंगल में प्रवेश किया.''
महिला पत्रकार ने कहा कि सोनाली अपनी ढाई साल की छोटी बेटी को अपने साथ जंगल में ले गईं, जबकि उनकी पांच साल की बड़ी बेटी अपने परिवार के सदस्यों के साथ है.
पत्रकार ने कहा कि वह 11 फरवरी को सोनाली के पति के अपहरण के एक दिन बाद उस निर्माण कंपनी के माध्यम से सोनाली के संपर्क में आई थी, जिसमें उसका पति कार्यरत था.
पत्रकार ने कहा कि उन्होंने यादव से मुलाकात की थी, जिन्हें मंगलवार शाम को अशोक पवार के साथ बिना कोई नुकसान पहुंचाए रिहा कर दिया गया था.
उन्होंने कहा, 'यादव ने मुझे बताया कि नक्सलियों ने उन्हें और इंजीनियर को दो-दो हजार रुपये अपने-अपने घर पहुंचने के लिए दिए थे.
पवार और यादव एक निजी निर्माण कंपनी की ओर से बीजापुर जिले के बेद्रे-नुगुर गांव के पास इंद्रावती नदी पर पुल बनाने का काम कर रहे थे, जब उनका अपहरण कर लिया गया. पवार परिवार मध्य प्रदेश का रहने वाला है.