- ED ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में 59 नए आरोपियों के साथ कुल 81 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है
- जांच में पता चला कि 2019 से 2023 तक आबकारी विभाग में संगठित भ्रष्टाचार से 2883 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई थी
- ईडी ने अब तक 382 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां अटैच की हैं और जांच अभी भी जारी है
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में एक और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. ईडी की जांच में सामने आया है कि साल 2019 से 2023 के बीच राज्य के आबकारी विभाग में एक संगठित भ्रष्टाचार का खेल चला, जिससे करीब 2883 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है. ED के मुताबिक यह पूरा घोटाला एक संगठित सिंडिकेट ने अंजाम दिया, जिसमें अफसर, नेता और शराब कारोबारी शामिल थे. इस गिरोह ने राज्य की शराब नीति को अपने फायदे के लिए तोड़ा-मरोड़ा और अवैध कमीशन व बिना हिसाब की शराब बिक्री के जरिए मोटा पैसा कमाया.
जांच में सामने आया है कि अवैध कमाई चार तरीकों से की गई. पहले तरीके में शराब सप्लायरों से सरकारी बिक्री पर अवैध कमीशन वसूला गया, जिसके लिए शराब की कीमत जानबूझकर बढ़ाई गई और इसका बोझ सरकारी खजाने पर डाला गया. दूसरे तरीके में बिना रिकॉर्ड की देशी शराब सरकारी दुकानों से बेची गई,जिसमें नकली होलोग्राम और बोतलों का इस्तेमाल हुआ और कोई टैक्स नहीं दिया गया.
तीसरे तरीके में शराब कंपनियों से कार्टेल कमीशन लिया गया ताकि उन्हें बाजार में हिस्सेदारी और लाइसेंस मिलते रहें. वहीं, चौथे तरीके में FL-10A लाइसेंस लाकर विदेशी शराब कंपनियों से मुनाफे का करीब 60 फीसदी हिस्सा सिंडिकेट को दिलाया गया.ED का कहना है कि यह साजिश राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर तक फैली हुई थी.चार्जशीट में 59 नए आरोपियों को नामजद किया गया है, जिससे अब तक कुल 81 आरोपी हो चुके हैं.
कई बड़े अधिकारियों का नाम भी आया सामने
इस मामले में कई बड़े अफसरों के नाम सामने आए हैं. इनमें पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, तत्कालीन आबकारी आयुक्त नीरजंन दास, और CSMCL के एमडी अरुण पति त्रिपाठी शामिल हैं. इनके अलावा करीब 30 फील्ड लेवल आबकारी अधिकारी भी आरोपी बनाए गए हैं, जो हर केस में तय कमीशन लेकर अवैध शराब बिकवाने में मदद कर रहे थे.
नेटवर्क जान हैरान हुए ED अधिकारी
राजनीतिक स्तर पर तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा,पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल और सीएम ऑफिस की तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया को भी आरोपी बनाया गया है. ईडी के अनुसार ये लोग नीति मंजूरी, नकद लेन-देन और अवैध पैसे के इस्तेमाल में शामिल थे.निजी लोगों और कंपनियों की बात करें तो इस पूरे सिंडिकेट की अगुवाई अनवर ढेबर और उसके सहयोगी अरविंद सिंह कर रहे थे. कई शराब कंपनियों पर भी आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर इस अवैध खेल में हिस्सा लिया. नकली होलोग्राम सप्लाई करने और कैश कलेक्शन करने वाले लोग भी इस नेटवर्क का हिस्सा थे.
ED अब तक 9 बड़े आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें पूर्व आईएएस, मंत्री, कारोबारी और सीएम ऑफिस के अफसर शामिल हैं. कुछ आरोपी जमानत पर हैं, जबकि कुछ अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं.इसके अलावा ईडी ने अब तक 382 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियां अटैच की हैं. इनमें करीब 1041 चल-अचल संपत्तियां शामिल हैं, जैसे रायपुर का एक बड़ा होटल और नेताओं व कारोबारियों की सैकड़ों संपत्तियां.इस मामले में अभी ईडी की जांच जारी है. कहा जा रहा है कि अभी कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं.
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