छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में IED ब्लास्ट की चपेट में आने से 2 जवान घायल हो गए. घायलों जवानों को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है. फिलहाल जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक ये जवान सड़क निर्माण कार्य के सुरक्षा में तैनात थे. यह घटना कोहकमेटा थाना के तोके गांव की है. जहां IED नक्सलियों द्वारा प्लांट किया गया था. इसी IED ब्लास्ट की चपेट में आने से दोनों जवान घायल हो गए.
अबूझमाड़ मुठभेड़ पर सवाल
पिछले सप्ताह नारायणपुर जिले में हुई मुठभेड़ पर एक कार्यकर्ता और ग्रामीणों ने सवाल उठाए हैं. उनका दावा है कि मुठभेड फर्जी थी, जिसमें पुलिस ने सात नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था. उन्होंने दावा किया कि मारे गए लोगों में से पांच स्थानीय लोग थे जो खेतों में काम कर रहे थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान एक लड़की समेत चार नाबालिग पुलिस की गोलीबारी में घायल हो गए.
पुलिस ने किया क्या दावा
दावों को खारिज करते हुए पुलिस ने कहा कि चारों नाबालिग नक्सलियों की गोलीबारी में घायल हुए थे और नक्सलियों ने मुठभेड़ के दौरान उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था. पुलिस ने 12 दिसंबर को दावा किया था कि नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर दक्षिण अबूझमाड़ के कल्हाजा-दोंदरबेड़ा गांव की पहाड़ियों पर सुरक्षाकर्मियों की संयुक्त टीम के साथ मुठभेड़ में दो महिलाओं समेत सात नक्सली मारे गए. बाद में पुलिस ने बताया कि सभी सातों पर इनाम घोषित था.
पुलिस ने बताया कि मारे गए माओवादियों में ओडिशा राज्य माओवादी समिति का सदस्य रामचंद्र उर्फ कार्तिक उर्फ दसरू शामिल था जिस पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था और क्षेत्रीय समिति का सदस्य रमीला मदकम उर्फ कोसी शामिल था, जिस पर पांच लाख रुपये का इनाम था. आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘13 दिसंबर की रात को मुझे पता चला कि पुलिस की गोलीबारी में कुछ बच्चे घायल हो गए हैं, जिसके बाद मैंने 14 दिसंबर को इलाके का दौरा किया और घायल बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया.''
स्थानीय लोगों ने क्या कुछ बताया
स्थानीय लोगों के अनुसार, 11 दिसंबर को सुबह करीब नौ बजे सुरक्षाकर्मियों ने उन पर तब गोलियां चलाईं, जब वे नारायणपुर जिले के रेखावाया पंचायत के अंतर्गत कुम्माम और लेकावाड़ा गांवों के पास पहाड़ियों पर खेतों में काम कर रहे थे. उन्होंने बताया कि उनमें से कुछ घायल हो गए, जबकि कई बच गए. उन्होंने बताया कि पुलिस ने मुठभेड़ में मारे गए लोगों को नक्सली बताकर तस्वीरें साझा कीं, जिसके बाद पता चला कि उनमें से पांच ग्रामीण थे जो अपने खेतों में काम कर रहे थे और केवल रामचंद्र और रमीला ही नक्सली थे.
सोरी ने पुलिस पर नक्सलवाद को खत्म करने के नाम पर बच्चों सहित निर्दोष आदिवासियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया. रामली के पिता ने रायपुर में ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, 'पुलिस ने अंधाधुंध गोलीबारी की. मेरी बेटी खेल रही थी, तभी पुलिस की गोलीबारी में वह घायल हो गई, वहां कोई नक्सली मौजूद नहीं था.' वहीं, नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रभात कुमार ने कहा कि नक्सलियों ने अपने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की जान बचाने के लिए नाबालिगों सहित कुछ ग्रामीणों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया, जिसके कारण बच्चे घायल हो गए.
(भाषा इनपुट्स के साथ)