- मुरली मनोहर जोशी ने चारधाम परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के CJI को पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा है
- पत्र में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए सड़क चौड़ीकरण पर आपत्ति जताई गई है
- चारधाम परियोजना के तहत सड़क निर्माण से भागीरथी इको-सेंसिटिव ज़ोन और नदी तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने चारधाम परियोजना के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है. उन्होंने इस परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिखा है. साथ इस परियोजना को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. उन्होंने अपने इस पत्र में हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों आई प्राकृतिक आपदाओं का भी जिक्र किया है. आपको बता दें CJI को जिन लोगों ने पत्र लिखकर इस परियोजना को लेकर कोर्ट के फैसले पर विचार करने की बात कही है, उनमें डॉ कर्ण सिंह, डॉ मुरली मनोहर जोशी, कुंवर रेवती रमण सिंह, के एन गोविंदाचार्य, प्रो शेखर पाठक, रामचंद्र गुहा, सांसद रंजीत रंजन, उज्ज्वल रमन सिंह जैसे नाम शामिल हैं.
सड़क चौड़ीकरण का कर रहे हैं विरोध
मुरली मनोहर जोशी ने CJI को लिखे अपने पत्र में कोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया है इसमें चारधाम परियोजना के तहत सड़कों के चौड़ीकरण की अनुमति देने की बात कही है. जोशी ने अदालत से अपने पहले के आदेश की समीक्षा करने की मांग की है. इस पत्र में कहा गया है कि इस तरह की स्थिति बेहद खतरनाक है. पत्र में कहा गया है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में उभरते “अस्तित्वगत संकट” को स्वीकार किया है. यदि अभी सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो पूरे देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
इस पत्र में विशेष रूप से भागीरथी इको-सेंसिटिव ज़ोन (BESZ) का उल्लेख किया गया है, जो गंगा का उद्गम स्थल है और हाल ही में धाराली आपदा जैसी त्रासदियों का सामना कर चुका है. नागरिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में ‘आरओएमएडी' (ROMAD) डिज़ाइन से सड़क निर्माण की अनुमति देना जीवन, आजीविका और नदी तंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है.
पत्र में यह भी स्वीकार किया गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा बलों की आवाजाही के लिए हर मौसम में संपर्क मार्ग आवश्यक है. लेकिन इसके साथ ही जोर दिया गया है कि हिमालय में इन्फ़्रास्ट्रक्चर का विकास “आपदा एवं जलवायु-लचीले दृष्टिकोण” से होना चाहिए, जो भू-भाग की पारिस्थितिक सीमाओं का सम्मान करता हो.नागरिकों ने मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि चारधाम परियोजना के निर्णय की पुनः समीक्षा कर अधिक टिकाऊ ढांचा अपनाया जाए, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित हो सके.
क्या है चार धार परियोजना
आपको बता दें कि चार धाम परियोजना उत्तराखंड के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को सबी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली एक योजना है. यह भारत सरकार की राजमार्ग परियोजना है. इस परियोजना के तहत 889 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की योजना है ताकि उत्तराखंड के इन पवित्र स्थलों तक श्रद्धालु पूरे साल बगैर किसी रोकटोक के पहुंच सके.
आपको बता दें कि चार धाम परियोजना उत्तराखंड के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को सबी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली एक योजना है. यह भारत सरकार की राजमार्ग परियोजना है. इस परियोजना के तहत 889 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की योजना है ताकि उत्तराखंड के इन पवित्र स्थलों तक श्रद्धालु पूरे साल बगैर किसी रोकटोक के पहुंच सके.