राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद(NCERT) ने सिलेबस में कुछ बदलाव किया है. मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) से जुड़े कुछ अध्याय अब सीबीएसई और यूपी बोर्ड के 12वीं कक्षा के छात्रों के इतिहास के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे. मुगल इतिहास के साथ-साथ नागरिक शास्त्र का सिलेबस भी बदला गया है. फिराक और निराला की रचनाएं भी अब पाठ्यक्रम में नजर नहीं आएंगी. NCERT के आला अफसरों ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी किताबों में इतिहास के कुछ पाठ बदले और हटाए गए हैं.
सिलेबस में ये हुए हैं बदलाव
- 12वीं के मध्यकालीन इतिहास से मुगलों के इतिहास से जुड़े 'द मुगल कोर्ट' और 'किंग्स ऐंड क्रॉनिकल्स' नाम के दो पाठ हटा दिए गए हैं.
- बारहवीं की राजनीति शास्त्र की किताब से भी कई पाठ हटाए गए हैं.
- 'Era of one party dominance' (एक दल के प्रभुत्व का युग) नाम का पाठ हटा दिया गया है, जो आज़ादी के बाद कांग्रेस के शासन पर है.
- यूपी बोर्ड की 12वीं की क्लास से भी मुग़ल दरबार से जुड़े पाठ हटा दिए गए हैं.
- 11वीं की इतिहास की किताब से 'सेंट्रल इस्लामिक लैंड' और 'कान्फ्रन्टेशन ऑफ़ कल्चर्स' पाठ हटा दिए गए हैं.
- 10वीं की राजनीति शास्त्र की किताब से 'डेमोक्रेसी ऐंड डाइवर्सिटी' और 'पॉपुलर स्ट्रगल्स ऐंड मूवमेंट्स' हटा दिए गए हैं.
NCERT ने शैक्षिक सत्र 2023-24 से इंटरमीडिएट में चलने वाली ‘आरोह भाग दो' में कई परिवर्तन किए हैं. इसमें फिराक गोरखपुरी गजल और ‘अंतरा भाग दो' से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की ‘गीत गाने दो मुझे' नहीं पढ़ सकेंगे. विष्णु खरे की 'एक काम और सत्य' को भी एनसीईआरटी ने ‘अंतरा भाग दो' से हटा दिया है. ‘विद्यार्थी आरोह भाग दो' में ‘चार्ली चैपलिन यानी हम सब' को भी छात्र इस सत्र में नहीं पढ़ सकेंगे.
नागरिक शास्त्र की पुस्तक से समकालीन विश्व राजनीति से समकालीन विश्व में अमेरिका वर्चस्व और शीतयुद्ध को हटा दिया गया है. स्वतंत्र भारत में राजनीति की किताब से ‘जन आंदोलन का उदय' और ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर' को हटाया गया है. इनमें कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, सोशलिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय जनसंघ आदि को पढ़ाया जाता था. ये नया सिलेबस इसी साल से लागू किया जाने वाला है.
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