"न मैंने पाप किए, न मैं उन्हें धोने जा रहा..." महाकुंभ पर अपने विवादित बयान को लेकर क्या कुछ बोले चंद्रशेखर आजाद

सरकार के लिए चंद्र शेखर आजाद ने कहा, "उनको मैं कहना चाहता हूं कि जितना पैसा उन्होंने कुंभ में लगाया, अगर वो उतना पैसा इस देश के युवा को चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार देने में लगाते तो बहुत सारे परिवारों के आंसु सूख जाते.

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नई दिल्ली:

चंद्रशेखर आजाद का एक बयान बहुत वायरल हो रहा है और उनके इस बयान पर विवाद भी छिड़ गया है. इसके बाद अब उन्होंने अपने विवादित बयान पर सफाई दी है. बता दें कि चंद्रशेखर आजाद ने कहा था कि महाकुंभ में जाने वाले लोग पाप करने वाले होते हैं. इस पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा, "नहीं मैंने कहा कि जिन्होंने पाप किए हैं वो गंगा में जाकर अपने पाप धोते हैं. हमने बचपन से हिंदू धर्म के संतों से सुना है कि गंगा जी में जाकर अपने पाप धो. न मैंने पाप किए हैं. मैं तो हकवंचछित समाज को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए और उनके साथ जो जुल्म हो रहा है, उसे रोकने के लिए काम कर रहा हूं, तो मुझे पाप धोने की जरूरत नहीं है". 

कोई क्या कहता है, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता

उन्होंने कहा, "और हमारी पार्टी का स्टैंड स्पष्ट है... हम कर्म में भरोसा करते हैं. जिस पार्टी का एजेंडा धार्मिक है, उनको परेशानी होती है तो हो.. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं तो सदगुरु रविदास जी महाराज को मानता हूं, "मन चंगा तो कटोती में गंगा, मैं क्यों जाऊं मथुरा-काशी, मैं बेगमपुरा का वासी". मेरा मन साफ सुथरा है तो मुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है. मेरा मन इस देश के प्रति, इस देश के लोगों के प्रति, गरीबों के प्रति हर व्यक्ति के लिए और हर व्यक्ति के सम्मान के लिए है और उनकी परेशानी को हल करने के लिए है. बाकि जिसे जो सोचना है, कहना वो कहें... मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं अपनी बात पर अठिग हूं".

कोरोना में जिनका अंतिम संस्कार नहीं हुआ उन्हें याद कर लें

वहां इतने मंत्री साधू, संत और मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री जा रहे हैं तो क्या वो सब पापी हैं? इस पर चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "जब वो वहां जा रहे हैं और आपने याद दिला दिया तो मैं मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से कहूंगा कि जब वो जाएं तो इलाहाबाद में जो लाशे करोना काल में हमने देखी थीं, उन लोगों के लिए भी जिनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया, उनके लिए भी प्रार्थना कर आएं क्योंकि आप मेडिकल फेसिलिटी नहीं दे पाए थे. जिन लोगों को चिता नसीब नहीं हुई, क्योंकि हिंदू धर्म में कहा जाता है कि अग्नि पार्थिव शरीर को मिलनी चाहिए लेकिन जिन्हें अग्नि नहीं मिली वो उनके लिए भी प्रार्थना कर आएं". 

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सरकार को लेकर चंद्र शेखर ने कही ये बात

सरकार के लिए चंद्र शेखर आजाद ने कहा, "उनको मैं कहना चाहता हूं कि जितना पैसा उन्होंने कुंभ में लगाया, अगर वो उतना पैसा इस देश के युवा को चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार देने में लगाते तो बहुत सारे परिवारों के आंसु सूख जाते, बहुत सारे लोगों को न्याय मिल जाता और बहुत लोगों को आगे बढ़ने का अवसर मिल जाता लेकिन उसमें तो सरकार फेल दिख रही है. उन्होंने कहा, अब ये सरकार इंसानों की रखवाली नहीं कर पा रही है. वो पशु-पक्षि की क्या रखवाली करेगी. मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि सरकार फेल है और जो मंत्री और सरकार के लोग जा रहे हैं, मैं उनको सिर्फ याद दिलाऊंगा कि वो जब जाएं तो मुजफ्फरनगर में जिनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी उनके लिए भी प्रार्थना कर लें. वो जो बच्चा, जिसने पार्लियामेंट के सामने जा कर खुद को न्याय न मिलने पर आग के हवाले कर दिया, उसके लिए भी प्रार्थना कर लें". 

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महाकुंभ में निमंत्र मिलने को लेकर कही ये बात

अगर आपको निमंत्रण मिलेगा तो क्या आप महाकुंभ में जाएंगे? इस पर उन्होंने कहा, "आपने सवाल के बीच में भी कहा कि कई धार्मिक गुरुओं ने भी इस पर टिप्पणी की है. मैं विज्ञानवादी व्यक्ति हूं और मुझे हंसी आती है... मैंने देखा जब हम वर्ल्डकप खेल रहे थे क्रिकेट का तो यहां बहुत सारे हवन हुए लेकिन फिर भी हम हार कर आए. मैंने ये देखा कि एक संत ने कहा कि हम ऐसा हवन करेंगे इस बार कि पाकिस्तान नक्शे से बाहर हो जाएगा तो उनसे कहूंगा कि चीन के लिए भी कर लेना और पाकिस्तान में तो हिंदू भी रहते हैं तो क्या आप उनके जीवन को भी समाप्त करना चाहते हैं उस देश को नक्शे से हटा कर". 

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संत का मतलब होता है, जो मानवता के लिए जिए...

उन्होंने कहा, "ऐसे लोगों को मैं न संत मानता और न उनकी भाषा को मैं संत वाली भाषा मानता हूं. संत का मतलब होता है, जो मानवता के लिए जिए, जो सुख-सुविधा को छोड़कर जिए लेकिन यहां वो सुख सुविधा ले रहे हैं और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन सच कुछ और है. अगर इतना पैसा शिक्षा और चिकित्सा पर लगाया होता तो कोरोना के वक्त इतने लोगों की जान नहीं जाती. मेरा काम है अपने संतों और महापुरुषों की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाना. ये जब हम लोगों को गुमराह करने का काम करते हैं तब मैं लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा हूं". 

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