चंद्रबाबू नायडू: चुनावी हार, गिरफ्तारी से लेकर आंध्र प्रदेश में नया अध्याय शुरू करने तक का सफर

मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान नायडू की छवि एक आर्थिक सुधारक और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले नेता की रही है. उन्होंने हैदराबाद को साइबर सिटी के तौर पर विकसित किया. उन्होंने राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें नई राजधानी अमरावती का निर्माण भी शामिल है.

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2024 के लोकसभा चुनाव में 240 सीटों पर जीत के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बनी, लेकिन 272 के बहुमत के आंकड़े को पार नहीं कर सकी. NDA गठबंधन को 293 सीटें मिली. वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि सियासत के 2 धुरंधर केंद्र की राजनीति में 'किंगमेकर' की भूमिका में आ गए, जिसमें एक नाम चंद्रबाबू नायडू का है.

नतीजों की बात करें तो विधानसभा चुनाव में राज्य की 175 विधानसभा सीटों में से 144 पर एनडीए गठबंधन को जीत मिली. इन 144 में से 135 पर तेलुगू देशम पार्टी, 8 पर बीजेपी और 21 सीट पर जनसेना पार्टी ने जीत दर्ज की है. टीडीपी-जेएसपी-बीजेपी गठबंधन ने राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 21 पर भी कब्जा जमाया. हालांकि, TDP ने 16 जीतीं है. 

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शपथ पूरी करते दिख रहे हैं नायडू
TDP की जीत के साथ नायडू मुख्यमंत्री के रूप में सदन में वापस आने की 2021 में ली गई अपनी शपथ पूरी करते दिख रहे हैं. वर्ष 2021 में परिवार के सदस्य के खिलाफ टिप्पणी के विरोध में नायडू ने विधानसभा से बहिर्गमन किया था और कहा कि वह मुख्यमंत्री बनने के बाद ही सदन में लौटेंगे.

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6 महीने जेल में रहे नायडू
पिछले साल सितंबर में नायडू को स्किल डेवलेपमेंट घोटाले में राज्य की सीआईडी ने गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्होंने खुद को फिर से राजनीतिक रूप से साबित किया है. 9 सितंबर को तड़के गिरफ्तार किये गए नायडू ने लगभग दो महीने राजामहेंद्रवरम केंद्रीय जेल में बिताए.

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आंध्र प्रदेश में अलग अलग समय पर 13 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान कई कीर्तिमान रच चुके नायडू को आईटी क्षेत्र में अपने राज्य को अग्रणी स्थान पर ले जाने का श्रेय दिया जाता है तथा वह राज्य ही नहीं केंद्र की राजनीति के भी कुशल रणनीतिकार रहे हैं.

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नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर मार्च, 2018 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया था, लेकिन वर्ष 2019 के विधानसभा व लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार ने उन्हें सियासी नेपथ्य में धकेल दिया.

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नायडू ने की थी मुस्लिम आरक्षण की बात
राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे पर नायडू ने अपना अलग रुख रखा और मुस्लिम आरक्षण की पैरवी की. उन्होंने खुलकर कहा, ''हम शुरू से ही मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं और यह जारी रहेगा.''

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राजग में लौटने के बाद भले ही नायडू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर मौके पर सराहना करते दिखे हों, लेकिन पूर्व में उनके साथ रिश्ते सहज नहीं रहे हैं. नायडू ने 2002 में गुजरात दंगे के बाद मोदी का विरोध किया था.

नायडू के नाम पर कई कीर्तिमान
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर नायडू के नाम पर कई कीर्तिमान भी हैं. वह आंध्र प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने कई कार्यकाल में 13 साल 247 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश के वह ऐसे एकमात्र नेता हैं जिन्होंने अविभाजित और विभाजन (आंध्र से अलग कर तेलंगाना का गठन) के बाद राज्य की बागडोर संभाली.

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मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान नायडू की छवि एक आर्थिक सुधारक और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले नेता की रही है. उन्होंने हैदराबाद को साइबर सिटी के तौर पर विकसित किया. उन्होंने राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें नई राजधानी अमरावती का निर्माण भी शामिल है.

राष्ट्रीय राजनीति में भी नायडू का खासा दबदबा रहा...
राज्य ही नहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी नायडू का खासा दबदबा रहा है. वर्ष 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने संयुक्त मोर्चा का नेतृत्व किया. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को समर्थन देने से पहले वह संयुक्त मोर्चा के संयोजक थे. नायडू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के संयोजक भी रहे.

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एन. चंद्रबाबू नायडू का जन्म 20 अप्रैल 1950 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव नारावरिपल्ले में हुआ था. उनके पिता एन खर्जुरा नायडू एक किसान थे और उनकी मां अम्मानम्मा एक गृहिणी थीं. नायडू ने शेषपुरम के स्कूल से प्राथमिक शिक्षा और चंद्रगिरि के सरकारी स्कूल से 10वीं की. इसके बाद तिरुपति से 1972 में श्री वेंकटेश्वर आर्ट्स कॉलेज से स्नातक और वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक किया. उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी भी की है.

नायडू का सियासी सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ और परास्नातक की पढ़ाई के दौरान वह श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में छात्र संघ के नेता निर्वाचित हुए. इसके बाद वह युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर आंध्र प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) में चले गए. उन्होंने फिल्म अभिनेता और पार्टी संस्थापक एनटी रामा राव की पुत्री भुवनेश्वरी से विवाह किया.

नायडू पहली बार 1978 में आंध्र प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए और मंत्री के रूप में कार्य किया. वर्ष 1995 में, वह अपने ससुर एन टी रामा राव के राजनीतिक तख्तापलट के बाद पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. नायडू 1999 में फिर से मुख्यमंत्री चुने गए और 2004 तक पद पर रहे. आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना का गठन किये जाने के बाद 2014 में वह तीसरी बार राज्य (आंध्र प्रदेश) के मुख्यमंत्री बने. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से करारी हार के बाद तेदेपा सत्ता से बाहर हो गई थी.

चंद्रबाबू नायडू के परिवार के बारे में ....

नायडू का जन्म 20 अप्रैल 1950 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के नरवरिपल्ले में एक कृषि परिवार में नारा खर्जुरा नायडू के घर हुआ था. उनका एक छोटा भाई नारा राममूर्ति नायडू और दो छोटी बहनें हैं.

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