हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना का पत्ता काटकर JMM ने चंपई को क्यों दी झारखंड की कमान?

हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन के तीन बेटों में दूसरे नंबर पर आते हैं. पहले बेटे दुर्गा सोरेन का लगभग एक दशक पहले निधन हो गया था. हेमंत सोरेन से पहले दुर्गा सोरेन ही राजनीति में सक्रिय थे. दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी दुमका के जामा विधानसभा सीट से विधायक है.

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पटना:

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने पद से इस्तीफा दे दिया है. प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सोरेन की जगह पर चंपई सोरेन को पार्टी विधायक दल का नेता चुन लिया है. पिछले कुछ दिनों से इस बात की चर्चा थी कि हेमंत सोरेन अपनी जगह पत्नी कल्पना सोरेन या छोटे भाई बसंत सोरेन को सीएम बना सकते हैं. मंगलवार को झारखंड की राजनीति में लगभग इस बात की पुष्टि भी हो गयी थी. लेकिन हेमंत सोरेन की पार्टी में ही इसे लेकर विरोध उभरकर सामने आ गया और बाद में उन्हें अपने इरादे बदलने पड़े.

किसने किया कल्पना सोरेन का विरोध?
हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन के तीन बेटों में दूसरे नंबर पर आते हैं. पहले बेटे दुर्गा सोरेन का लगभग एक दशक पहले निधन हो गया था. हेमंत सोरेन से पहले दुर्गा सोरेन ही राजनीति में सक्रिय थे. दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी दुमका के जामा विधानसभा सीट से विधायक है.

पार्टी की बैठक के दौरान सीता सोरेन ने हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम का सीधा विरोध किया. उनके साथ 2 अन्य विधायकों ने भी हेमंत सोरेन के फैसले का विरोध किया. बताते चलें कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के झारखंड विधानसभा में 29 विधायक हैं. कई बार पार्टी में टूट की अटकलें भी लगती रही है.

कानूनी अड़चन का भी था खतरा
जानकारों के मुताबिक, कल्पना को सीएम बनाने में कानूनी अड़चन भी आ सकती थी. कल्पना सोरेन अभी विधायक नहीं हैं. संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, अगर विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम बचा है, तो मध्यावधि चुनाव नहीं करवाया जा सकता. ऐसे में कल्पना सोरेन का सीएम बनना मुश्किल था. अगर ऐसी अड़चन आती है, तो किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.हालांकि, सब कुछ बुधवार को ईडी की होने वाली पूछताछ के परिणाम के बाद ही तय होगा, क्योंकि अगर हेमंत सोरेन गिरफ्तार नहीं होते हैं, तो वही मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

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कौन हैं चंपई सोरेन?
चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें बेहद इमानदार और कर्मठ नेता के तौर पर जाना जाता है. चंपई सोरेन ने अलग झारखंड राज्य आंदोलन में लंबी लड़ाई लड़ी थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई बार विभाजन के बाद भी वो शिबू सोरेन के साथ डटे रहें थे. पहली बार साल 1991 में वो विधायक बने थे.1991 में उन्होंने निर्दलीय जीत दर्ज की थी बाद में वो जेएमएम में शामिल हो गए. साल 2000 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 2005 के बाद से वो लगातार जीतते रहे हैं. पहली बार बीजेपी और झारखंड मुक्ती मोर्चा गठबंधन की सरकार में वो मंत्री बने थे. बाद में वो हेमंत सोरेन के पहले कार्यकाल  में भी मंत्री बने. साल 2019 के चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम की अच्छी जीत में भी उनका बड़ा योगदान माना जाता है.

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क्या है जमीन घोटाले का मामला?
जमीन से जुड़े मामले का खुलासा रांची के अफसर अली की गिरफ्तारी के बाद हुआ. साल 2022 के 4 नवंबर को जमीन घोटाले में विष्णु अग्रवाल के कई ठिकानों पर ED ने छापेमारी की थी. बाद में तीन बार विष्णु अग्रवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा गया. जमीन के तमाम मामलों के साथ चेशायर होम रोड की जमीन की खरीद में हेमंत सोरेन का नाम सामने आया था. वहीं पुगडू में 9.30 एकड़ खास महल जमीन की खरीद में भी फर्जीवाड़े की बात सामने आई थी. 

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19 जुलाई साल 2022 को गिरफ्तार किए गए मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के घर पर 8 जुलाई को छापेमारी के दौरान ED को सीएम हेमंत सोरेन के बैंक खाते से जुड़ी चेक बुक मिलने की खबर सामने आई थी. ED ने PMLA कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में जिक्र किया है कि 2 ब्लैंक चेक पर मुख्यमंत्री के साइन भी थे. जमीन घोटाला मामले में CM के अलावा उनके परिवार का नाम भी सामने आ रहा है.

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