केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लाएगी, कृषि मंत्री ने दी सफाई 

तोमर ने शुक्रवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में कृषि कानूनों (अब निरस्त) के बारे में बात करते हुए कहा कि सरकार एक "कदम पीछे" चली गई है और " फिर से आगे बढ़ेंगे". इस बारे में पूछे जाने पर उन्‍होंने कहा,  "मैंने यह नहीं कहा." 

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तोमर ने कहा कि केंद्र कृषि कानूनों को संशोधित रूप में फिर से पेश नहीं करेगा.

ग्वालियर:

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने शनिवार को स्पष्ट किया कि केंद्र कृषि कानूनों को संशोधित रूप में फिर से पेश नहीं करेगा. केंद्रीय मंत्री की ओर से स्पष्टीकरण कांग्रेस (Congress)  के उस आरोप के बाद आया है कि जिसमें उसने कहा था कि केंद्र पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के बाद संशोधन के साथ तीन कृषि कानूनों (जिन्‍हें अब निरस्त कर दिया गया है) को वापस लाने की योजना बना रहा है. 

तोमर ने शुक्रवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में कृषि कानूनों (अब निरस्त) के बारे में बात करते हुए कहा कि सरकार एक "कदम पीछे" चली गई है और " फिर से आगे बढ़ेंगे". इस बारे में पूछे जाने पर उन्‍होंने कहा,  "मैंने यह नहीं कहा." 

मंत्री ने कहा, "मैंने कहा था कि सरकार ने अच्छे (कृषि) कानून बनाए हैं. कुछ कारणों से हमने उन्हें वापस ले लिया. सरकार किसानों के कल्याण के लिए काम करना जारी रखेगी."

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इससे पहले, नागपुर के कार्यक्रम के दौरान, तोमर ने कहा था: "हम कृषि कानून लाए. कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया लेकिन आजादी के 70 साल बाद यह एक बड़ा सुधार था जो नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा था, लेकिन सरकार निराश नहीं है. हम एक कदम पीछे हटे और हम फिर से आगे बढ़ेंगे क्योंकि किसान भारत की रीढ़ हैं और अगर रीढ़ मजबूत हुई तो देश मजबूत होगा."

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कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने तोमर के बयान का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र फिर से आगे बढ़ेगा. सुरजेवाला ने कहा, ''तोमर के बयान ने एक बार फिर केंद्र की तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लाने की साजिश को उजागर किया है. यह स्पष्ट है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद में केंद्र सरकार तीन काले कानूनों को एक नए रूप में वापस लाने की योजना बना रही है और यह वे पूंजीपतियों के दबाव में कर रहे हैं."

23 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आवश्यक विधेयक पारित होने के बाद तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया था.

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