आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार द्वारा अपराधिक मामले में लगातार 30 दिन जेल में रहने वाले मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने को लेकर लाए जा रहे कानून का स्वागत करते हुए कई अहम सुझाव दिए हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को झूठे केस में जेल भेजा जाता है तो उसे जेल भेजने वाले अधिकारी, एजेंसी और सरकार के मुखिया को भी जेल भेजने का कानून में प्रावधान होना चाहिए. अफसर-मुखिया को उतने ही साल तक जेल में रखा जाना चाहिए, जितने साल की सजा का प्रावधान उस आरोप में है. यह कानून आम आदमी को झूठे केस में जेल भेजने पर भी लागू होना चाहिए, तभी निरंकुश सत्ता के दुरुपयोग पर पूरी तरह लगाम लगेगी. यह कानून अभी अधूरा है, जिसका ईडी-सीबीआई की तरह दुरुपयोग होने की पूरी संभावनाएं हैं.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार संविधान में एक नया संशोधन ला रही है, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि किसी राज्य या केंद्र सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी होती है, तो उन्हें एक महीने के भीतर अपना पद छोड़ना होगा या उन्हें हटा दिया जाएगा. यह प्रस्ताव स्वागत योग्य है. लेकिन बहुत संभावनाएं हैं कि जिस तरह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का दुरुपयोग हुआ है, उसी तरह इस कानून का भी दुरुपयोग होगा. यह कानून अच्छा है. भ्रष्ट नेताओं में हमेशा यह डर बना रहना चाहिए कि भ्रष्टाचार करने पर उनकी कुर्सी जा सकती है. आम आदमी पार्टी तो कट्टर ईमानदार लोगों की पार्टी है. इसलिए वह इस तरह के किसी भी कदम का अच्छा ही मानेगी. लेकिन यह कानून अभी अधूरा है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह कानून केंद्र या राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी को अत्यधिक शक्ति देता है. इसलिए, मेरा सुझाव है कि इस कानून में यह अतिरिक्त प्रावधान जोड़ा जाए कि यदि किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री की भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी होती है और उन्हें जेल में रहना पड़ता है, तो एक महीने के भीतर उन्हें पद से हटा दिया जाए, यह अच्छी बात है. लेकिन, यदि बाद में वह नेता (चाहे वह मंत्री हो या मुख्यमंत्री) अगर निर्दाेष साबित होता है और उसके उपर लगे आरोप सही नहीं होते हैं और उसको बरी कर दिया जाता है, तो इसका मतलब है कि उन पर लगे आरोप झूठे थे और राजनीतिक साजिश के तहत झूठे आरोप लगाए गए थे.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऐसे में, जिन लोगों ने ये झूठे आरोप लगाए, उनको जेल जाना चाहिए. जिस अधिकारी ने किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को गिरफ्तार करने का निर्णय लिया, उसको उतने साल के लिए जेल में डाला जाना चाहिए, जितने साल के झूठे आरोप उसने लगाए. साथ ही, जिस एजेंसी ने ये आरोप लगाए, उसके प्रमुख को भी उतने ही साल के लिए जेल की सजा मिलनी चाहिए, जितने साल के लिए झूठे आरोप उसने किसी मंत्री या मुख्यमंत्री पर लगाए.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस कानून को अधूरा न लाया जाए. इसे पूर्ण रूप से लाया जाए. यदि किसी पर आरोप हैं और जेल चला जाता है, तो उसे पद से हटना चाहिए. लेकिन यदि झूठे आरोप लगाकर किसी को जेल में डाला जाता है, तो झूठे आरोप लगाने वाले अधिकारियों और सरकार के मुखिया (चाहे वह प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री) को भी उतने साल के लिए जेल में डाला जाना चाहिए, जितने समय के लिए भ्रष्टाचार के झूठे आरोप उन्होंने लगाए थे.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह विशेषाधिकार केवल मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों तक सीमित क्यों रहे? यह आम नागरिक के लिए भी लागू होना चाहिए. देश की जेलों में लाखों लोग झूठे आरोपों के कारण सड़ रहे हैं. उन्हें झूठे आरोपों में जेल में डाल दिया जाता है और बाद में एक, दो या तीन साल बाद वे बरी होते हैं. कोर्ट एजेंसियों को फटकार लगाता है, लेकिन जिन अधिकारियों और नेताओं ने झूठे आरोप लगाए, वे मजे में रहते हैं. जिस व्यक्ति का जीवन झूठे आरोपों में एक, दो या तीन साल जेल में बीत जाता है, उसकी कोई क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती. इसलिए झूठे आरोप लगाने वालों को भी सजा मिलनी चाहिए.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि न केवल नेताओं, बल्कि आम नागरिक पर भी अगर कोई झूठा आरोप लगाए और उसे जेल भिजवाए और बाद में वे आरोप झूठे साबित होते हैं, तो झूठे आरोप लगाने वाले अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ वही कार्रवाई होनी चाहिए, जो उन आरोपों के सिद्ध होने पर होती. उन्हें उतने ही वर्षों के लिए जेल में डाला जाना चाहिए, जितने समय के लिए उन्होंने किसी का जीवन बर्बाद किया.
मनीष सिसोदिया ने एक्स पर कहा कि इस क़ानून में यह व्यवस्था भी होनी चाहिए कि अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री झूठे आरोपों में जेल भेजा जाता है, और बाद में वह बरी हो जाता है तो अरेस्ट करने वाले अधिकारी, अरेस्ट करने वाली एजेंसी के मुखिया और अरेस्ट कराने वाली सरकार के मुखिया (प्रधान मंत्री या मुख्यमंत्री, जो भी उस समय रहे हों) को उतने साल के लिए जेल भेजा जाएगा, जितने साल की सज़ा वाले झूठे आरोप उस वक्त लगाए गए थे. सिर्फ़ मिनिस्टर्स या लीडर्स के लिए ही क्यों? किसी भी आम आम आदमी को झूठे केस में जेल भेजने वालों को भी जेल भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए. लोकतंत्र में सत्ता के पास ताक़त होना ज़रूरी है लेकिन इस ताक़त का दुरुपयोग करने वालों को अगर सज़ा नहीं मिलेगी तो इस निरंकुश ताक़त का अहंकार सबको रावण बना देता है.