संसद में गतिरोध खत्म करेगा 'बीच का रास्ता'? मणिपुर पर चर्चा के लिए कांग्रेस का प्लान केंद्र को मंजूर : सूत्र

विपक्षी दलों के गठबंधन के नेताओं ने सुझाव दिया कि गतिरोध को समाप्त करने में मदद के लिए बिना किसी समय सीमा के मणिपुर पर राज्यसभा में निर्बाध चर्चा शुरू की जानी चाहिए.

विज्ञापन
Read Time: 17 mins

मणिपुर में मैतई आरक्षण विवाद को लेकर कई दिनों से हिंसा और तनाव का माहौल है.

नई दिल्ली:

मणिपुर हिंसा पर और पीएम मोदी के बयान की मांग को लेकर संसद में विपक्ष का गतिरोध जारी है. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार संसद में गतिरोध को खत्म करने के लिए विपक्ष की ओर से प्रस्तावित 'बीच का रास्ता' के तहत मणिपुर पर चर्चा के लिए मान गई है. ऐसे में माना जा रहा है कि संसद में गतिरोध खत्म हो सकता है.

मणिपुर को लेकर सरकार नियम 167 के तहत राज्यसभा में बहस कराने को तैयार हो गई है. विपक्ष ने सरकार को इस नियम के तहत बहस का प्रस्ताव दिया था, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक, 11 अगस्त को राज्यसभा में बहस का ऑफर दिया है.

संसद का मॉनसून सत्र के शुरू होने के बाद से ही विपक्षी सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा और प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे हैं. इस नियम के तहत कार्यस्थगन का प्रावधान होता है. राज्यसभा में विपक्षी दलों के मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग पर अडिग रहने के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को स्पष्ट कहा कि वह प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते.

सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों में मतभेद है और उनके कुछ सांसद किसी भी तरह की चर्चा के लिए तैयार है, चाहे प्रधानमंत्री बयान दें या गृह मंत्री जवाब दें. सरकार के साथ बैठक में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के घटक दलों के नेताओं ने सुझाव दिया कि मणिपुर के विषय पर निर्बाध ढंग से चर्चा आरंभ होनी चाहिए और इसमें कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए. इसके बाद नियम 167 पर चर्चा पर सहमति बनी.

जयराम रमेश ने किया ट्वीट
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ''विपक्षी गठबंधन की पार्टियों ने गतिरोध को दूर करने और राज्यसभा में मणिपुर पर बिना किसी बाधा के चर्चा कराने के लिए, सदन के नेता को एक बीच के रास्ते का प्रस्ताव दिया है. उम्मीद है मोदी सरकार मान जाएगी.''

पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी नेताओं से की मुलाकात
इससे पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी राज्यसभा में गतिरोध खत्म करने के लिए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य विपक्षी नेताओं के पास पहुंचे. हालांकि, विपक्ष और सरकार के बीच आधे घंटे से ज्यादा चली ये बैठक बेनतीजा रही.

पीएम मोदी के बयान की मांग मानने से केंद्र का इनकार
हालांकि, राज्यसभा में विपक्षी दल संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग और मणिपुर के मुद्दे पर व्यापक चर्चा पर अड़े हुए हैं. लेकिन केंद्र सरकार ने मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग मानने से इनकार कर दिया है. हालांकि, सरकार की ओर से कहा गया है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर पर बयान देंगे. 

Advertisement

अमित शाह बोले- "मैं मणिपुर पर जवाब दूंगा'
गुरुवार को लोकसभा में दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े विधेयक पर चर्चा करते हुए अमित शाह ने मणिपुर का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुद्दे पर जितनी चर्चा करनी हो मैं तैयार हूं. मणिपुर के मुद्दे पर मैं जवाब दूंगा.
 

ये भी पढ़ें:-

"दिल्ली के बारे में सोचें, गठबंधन के बारे में नहीं": INDIA के AAP को समर्थन पर अमित शाह का तंज

Advertisement

'नेहरू, पटेल और अंबेडकर ने किया था दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का विरोध' : लोकसभा में अमित शाह

संसद में संख्या बल में पिछड़ने के बाद दिल्ली सेवा बिल पर लंबी कानूनी लड़ाई की तैयारी में AAP