- झारखंड के झरिया के लिए 5940 करोड़ रुपये का संशोधित मास्टर प्लान मंजूर.
- इस योजना का उद्देश्य आग, भूमि धंसाव और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करना है.
- पुनर्वासित परिवारों के लिए स्थायी आजीविका सृजन और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू होंगे.
केंद्र सरकार ने झारखंड को बड़ी सौगात दी है. झरिया संशोधित मास्टर प्लान (Jharia Revised Master Plan) के लिए 5940 करोड़ रुपये मंजूर कर लिए गए हैं. पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बुधवार को 5,940.47 करोड़ रुपए के संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य झरिया कोलफील्ड में आग, भूमि धंसाव और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है.
आग और धंसाव से निपटने में मिलेगी मदद
सीसीईए की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, योजना के चरणबद्ध कार्यान्वयन से आग और धंसाव से निपटने और प्रभावित परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित पुनर्वास सुनिश्चित किया जाएगा. धनबाद जिले के काफी पुराने मुद्दे पर कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति दे दी. झरिया भूमिगत (अंडरग्राउंड) आग के लिए संशोधित मास्टर प्लान को लेकर 5940 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है. बता दें कि ये मुद्दा काफी पुराना है.
पिछले 100 सालों से अधिक समय से जल रहा झरिया
दिल्ली में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पारित इस प्रस्ताव की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी. जमीन के अंदर कोयले में लगी आग की वजह से झरिया शहर पिछले 100 सालों से अधिक समय से जल रहा है. आग प्रभावित परिवारों को राहत देने के लिए साल 2009 में झरिया मास्टर प्लान बना था. अब 2025 में संशोधित मास्टर प्लान को मंजूरी दी गई है.
आय सृजन के अवसर पैदा किए जाएंगे
संशोधित झरिया मास्टर प्लान (जेएमपी) योजना में पुनर्वासित किए जा रहे परिवारों के लिए स्थायी आजीविका सृजन पर अधिक जोर दिया गया है. इसके अलावा, लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे. पुनर्वासित परिवारों की आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए आय-सृजन के अवसर पैदा किए जाएंगे. आधिकारिक बयान के मुताबिक, 1 लाख रुपए के आजीविका अनुदान और संस्थागत लोन पाइपलाइन के जरिए 3 लाख रुपए तक के लोन समर्थन तक पहुंच कानूनी शीर्षक धारक परिवारों और गैर-कानूनी शीर्षक धारक परिवारों दोनों को दी जाएगी.
जमीन के अंदर कोयले में लगी आग
इसके अलावा, पुनर्वास स्थलों पर इंफ्रास्ट्रक्चर और जरूरी सुविधाएं- जैसे सड़क, बिजली, पानी की सप्लाई, सीवरेज, स्कूल, अस्पताल, कौशल विकास केंद्र, सामुदायिक हॉल और अन्य सामान्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी. जमीन के अंदर कोयले में लगी आग की वजह से झरिया शहर पिछले 100 सालों से ज्यादा समय से जल रहा है. राष्ट्रीयकरण के वक्त झरिया कोयलांचल के करीब 17.32 स्क्वायर किलोमीटर में आग का दायरा फैला हुआ था, लेकिन यह करीब 1.53 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में सिमट चुका है. नेशनल रिमोट सेंटर (एनआरएससी) की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.