केंद्र सरकार का नया प्रस्ताव, किसानों के खिलाफ दर्ज सभी केस तुरंत निलंबित करने का आश्वासन : सूत्र

सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने नए प्रस्ताव में किसानों के खिलाफ दर्ज सभी केस तुरंत निलंबित करने का आश्वासन दिया है. इससे पहले कल भी सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया था. उस पर चर्चा करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए दिल्ली की सीमा पर किसान संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने आज आपात बैठक की.

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केंद्र सरकार ने किसानों का आंदोलन खत्म कराने के लिए नया प्रस्ताव भेजा है. (फाइल फोटो)

केंद्र सरकार (Union Government) ने किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) खत्म कराने के लिए अब उनके पास नया प्रस्ताव (New Proposal) भेजा है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने  संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यीय पैनल को भेजे नए प्रस्ताव में किसानों के खिलाफ दर्ज सभी केस तुरंत निलंबित करने का आश्वासन दिया है. इससे पहले कल भी सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया था. उस पर चर्चा करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए दिल्ली में किसान संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने आज आपात बैठक की.

इसके बाद इस बात की चर्चा तेज है कि किसान नेता केंद्र सरकार के प्रस्तावों के मद्देनजर किसान आंदोलन खत्म कर सकते हैं. पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसान नेता 2 बजे के करीब सिंघू बॉर्डर पर जाएंगे, जहां साल भर से किसान डटे हुए हैं.

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दरअसल, तीनों कृषि क़ानून ख़त्म करने के बाद केंद्र सरकार ने मंगलवार को भी किसानों को नया प्रस्ताव भेजा था, जिसमें कहा गया है कि अगर किसान आंदोलन वापस ल लें तो उनके ख़िलाफ़ चले केस भी ख़त्म हो जाएंगे. इसी के बाद आज आंदोलन जारी रखने या ख़त्म करने पर चर्चा के लिए किसान नेताओं की आपात बैठक बुलाई गई थी. आज आपात बैठक की पैनल में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, युद्धवीर सिंह, अशोक धावले, शिवकुमार कक्का शामिल थे.

बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कल (मंगलवार) ही संसद में किसानों का मुद्दा उठाया था. उन्होंने लोकसभा में सरकार से मांग की थी कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को मुआवजा और परिवार के सदस्यों को नौकरी मिलनी चाहिए. केंद्र सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा था कि आप की सरकार कह रही है कि कोई किसान शहीद नहीं हुआ और आपके पास नाम नहीं हैं. उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के नाम लोकसभा में दिखाते हुए कहा कि किसानों का जो हक है, वह उन्हें मिलना चाहिए.

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अगले साल की शुरुआत में यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं. सरकार नहीं चाहती कि किसानों के आंदोलन और गुस्से का खामियाजा इन चुनावों में बीजेपी को भुगतना पड़े. सबसे ज्यादा संकट यूपी को लेकर है, जहां पश्चिमी यूपी में जाट किसानों की बहुलता है.

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