आतंकी फंडिंग (Terror Funding) से मस्जिद का निर्माण करने के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने चारों आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया है. इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था ,लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए सभी को आरोपमुक्त कर दिया कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. तीन साल जेल में रहने के बाद जब राजस्थान के नागौर निवासी 42 साल के मोहम्मद हुसैन मोलानी रोहिणी जेल से बाहर आए तो उनके परिवार वालों की खुशी देखते ही बन रही थी. मोलानी के बड़े भाई तो उन्हें गले लगाकर रो पड़े. मोलानी को एनआईए ने जयपुर एयरपोर्ट से 21 जनवरी 2019 को उस समय गिरफ्तार किया था जब वे दुबई से लौट रहे थे. उन पर आरोप लगाया गया था कि पलवल में बन रही एक मस्जिद में उन्होंने आतंकियों द्वारा दिया गया पैसा लगाया है. मोहम्मद हुसैन मोलानी जब अपने घर पहुंचे तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा.
दरअसल, तीन साल पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दावा किया था कि पलवल में एक मस्जिद टेरर फंडिंग से बनाई जा रही है और इसका पैसा सीधा पाकिस्तान से आ रहा है. आतंकी मस्जिद बनाने के बहाने भारत में अपने स्लीपर सेल एक्टिव कर गड़बड़ी फैलाने की फिराक में हैं. इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया थाय कोर्ट ने ये कहते हुए सभी को आरोपमुक्त कर दिया कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं.
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— Mukesh singh sengar मुकेश सिंह सेंगर (@mukeshmukeshs) October 23, 2021
खुशी के पल !
टेरर फंडिंग केस में 3 साल तक जेल में रहने के बाद जब राजस्थान के नागौर के मोहम्मद हुसैन मोलानी अपने घर पहुँचे तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा,पटियाला हाउस कोर्ट ने इस केस में सभी 4 आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया है pic.twitter.com/3pfPYkPZTK
एनआईए ने इस मामले में मोहम्मद सलमान, मोहम्मद सलीम, आरिफ गुलाम बशीर और मोहम्मद हुसैन मोलानी को गिरफ्तार किया था. कोर्ट में दावा किया गया कि मोहम्मद सलमान के मोबाइल से कुछ मैसेज मिले हैं, जिनमें 'घी' और 'खिदमत' जैसे शब्द हैं. एनआईए ने 'घी' का मलतब 'विस्फोटक' और 'खिदमत' का मतलब 'आतंकी ट्रेनिंग' बताया. कोर्ट ने कहा कि इन शब्दों के कई मीनिंग हैं इसलिए एनआईए इन शब्दों का जो अर्थ निकाल रही है वो स्वीकर नहीं हैं. इन शब्दों के आधार पर किसी को टेरर लिंक से नहीं जोड़ा जा सकता और कोर्ट ने सभी चार लोगों को आरोपमुक्त कर दिया.
एनआईए ने कोर्ट में दावा किया था कि पलवल में मस्जिद बनाने के लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठन फलह ए इंसानियत फाउंडेशन पैसा दे रहा था. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इसके कोई सबूत नहीं हैं.
मोहम्मद हुसैन के परिवार के मुताबिक वे कपड़े और ट्रैवल एजेंसी का काम करते हैं. उन्होंने मस्जिद बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये दान के तौर पर दिए थे. मोहम्मद हुसैन राजस्थान के नागौर के रहने वाले हैं. उनके दो छोटे बच्चे हैं. बीते तीन सालों में उनका कारोबार भी चौपट हो गया और उनका परिवार भी मुश्किल हालात से गुजर रहा है. तीन सालों में मोलानी को जमानत या पैरोल नहीं मिली. बीते छह महीने से उनका परिवार उनसे जेल में भी नहीं मिल पाया था. मोलानी के साथ बरी हुए बाकी तीन लोगों की भी ऐसी ही कहानी है.