सीजफायर, ट्रंप का दावा, परमाणु हमले की धमकी... संसदीय समिति ने पूछे सवाल, जानें विक्रम मिसरी के जवाब

सूत्रों ने बताया कि संसद की स्‍थायी मामलों की समिति की बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सरकार के रुख को दोहराया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया था.

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विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में 24 सांसदों ने भाग लिया.
नई दिल्‍ली:

विदेश मामलों पर संसद की स्‍थायी समिति की सोमवार को बैठक हुई. बैठक के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिसरी से सांसदों ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) और उसके बाद सीजफायर, डोनाल्‍ड ट्रंप के दावे, पाकिस्‍तान की परमाणु हमले की धमकी और चीन के पाकिस्‍तान का साथ देने सहित कई सवाल पूछे गए. इस दौरान विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सभी सांसदों के सभी सवालों का अच्‍छे से जवाब दिया. अच्‍छे माहौल में हुई इस बैठक के दौरान विदेश सचिव मिसरी की ट्रोलिंग का मुद्दा भी उठा और सांसदों ने कहा कि इसकी निंदा की जानी चाहिए. 

इस दौरान विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने समिति को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हमेशा पारंपरिक दायरे में रहा और पड़ोसी देश की ओर से कोई परमाणु संकेत नहीं दिया गया था.

ट्रंप के दावों पर विदेश सचिव ने क्‍या कहा?

सूत्रों ने कहा कि मिसरी ने सरकार के रुख को दोहराया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया था, क्योंकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से संघर्ष को रोकने में उनके प्रशासन की भूमिका को लेकर बार-बार किए गए दावों को लेकर सवाल उठाया था.

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सूत्रों के मुताबिक, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खुद ही बयान जारी किए. भारत ने कभी भी युद्ध विराम के लिए किसी भी तरह से हस्तक्षेप करने के लिए अमेरिका से संपर्क नहीं किया. संघर्ष के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच सभी संपर्क डीजीएमओ स्तर पर थे. 

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सूत्रों ने बताया कि कुछ सांसदों ने पूछा कि क्या पाकिस्तान ने संघर्ष में चीनी मंचों का इस्तेमाल किया है. मिसरी ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को तबाह कर दिया. 

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विदेश सचिव की ट्रोलिंग का मुद्दा भी उठा

विदेश सचिव ने सांसदों के सवालों का अच्‍छे से जवाब दिया. बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि जिस तरह से विदेश सचिव को सोशल मीडिया में ट्रोल किया गया, उसकी निंदा की जानी चाहिए.

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भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति के बाद विदेश सचिव को सोशल मीडिया पर ‘ट्रोलिंग' का सामना करना पड़ा. हालांकि राजनीतिक नेताओं, पूर्व नौकरशाहों और सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने मिसरी का समर्थन किया.

बैठक में 24 सांसद शामिल हुए

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में 24 सांसदों ने भाग लिया. इसमें तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और भाजपा की अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल सहित अन्‍य सांसदों ने भाग लिया. 

उधर, विदेश मामलों पर संसद की स्थाई समिति मंगलवार को एक फ्रेंच डेलिगेशन के साथ संसद भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक करेगी. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में पाकिस्तान की तरफ से सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा होगी. यह बैठक शाम 4 बजे होगी. 

आतंकी हमले में 26 की हुई थी मौत

विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर' शुरू करने और उसके बाद दोनों देशों के बीच हुए सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में हुई. 

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने छह मई की देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की थी और पाकिस्तान तथा उसके कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था. पहलगाम में 22 अप्रैल के आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे.

आतंकी ठिकानों पर भारतीय कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी सेना के ड्रोन और मिसाइल हमलों के कारण दोनों देश युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे, हालांकि, 10 मई को दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी थी. 

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