CBI ने पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को घूस लेने के आरोपों से दी क्लीन चिट : सूत्र

सूत्रों ने बताया है कि पिछले हफ्ते सीबीआई डायरेक्टर के पद से रिटायर होने के पहले आरके शुक्ला ने 'मध्य जनवरी में राकेश अस्थाना और अन्य को क्लीन चिट देते हुए फाइल पर साइन किए थे.' 

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CBI ने सबूतों के अभाव में राकेश अस्थाना को दी क्लीन चिट. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपने पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) को धोखाधड़ी के केस में फंसी फार्मा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक से घूस लेने के आरोपों से क्लीन चिट दे दी है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. एजेंसी की ओर से राकेश अस्थाना को मिली यह दूसरी क्लीन चिट है. राकेश अस्थाना का कार्यकाल काफी विवादित रहा, जिसके बाद उन्हें 2018 में हटा दिया गया था. वर्तमान में वो सीमा सुरक्षा बल (BSF) के प्रमुख हैं. इसके पहले पिछले साल मार्च में उन्हें मीट निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े एक दूसरे घूसखोरी के मामले में भी क्लीन चिट दिया गया था. 

सूत्रों ने बताया है कि पिछले हफ्ते सीबीआई डायरेक्टर के पद से रिटायर होने के पहले आरके शुक्ला ने 'मध्य जनवरी में राकेश अस्थाना और अन्य को क्लीन चिट देते हुए फाइल पर साइन किए थे.' उन्होंने NDTV को बताया कि 'सबूतों के अभाव में, यह जांच टीम, सुपरवाइज़री ऑफिसर और संबधित योग्य अथॉरिटी का यह एकमत था कि केस को बंद कर दिया जाए.'

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि सीबीआई ने 30 अगस्त, 2017 को तीन अधिकारियों, स्टर्लिंग बायोटेक और कुछ अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोप में केस दर्ज किया था. यह केस, 2011 में इनकम टैक्स विभाग की ओर से स्टर्लिंग बायोटेक के प्रमोटर भाइयों चेतन और नितिन संदेसारा के आवास से जब्त की गई एक डायरी के आधार पर फाइल किया गया था.

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इस डायरी में दर्ज नोट्स के आधार पर तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना पर संदेसारा भाइयों से 4 करोड़ का घूस लेने का आरोप लगाया था.

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सूत्रों ने बताया कि 'डायरी में राकेश अस्थाना के नाम पर लिखे गए 12 डिजिट के नंबरों की जांच की गई, ऐसा कोई भी बैंक अकाउंट कहीं भी नहीं मिला. तीन साल के जांच में हर डिटेल की जांच की गई. लेकिन सबूतों के अभाव में जांच टीम इस विचार पर पहुंची कि केस को बंद कर देना चाहिए.'

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2017 में, आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना के स्पेशल डायरेक्टर बनाए जाने का विरोध किया था और चीफ विजिलेंस कमिश्नर के पास एक नोट डाला था, जिसमें उन्होंने बताया था कि डायरी में 23 एंट्रीज़ हैं, जिनमें राकेश अस्थाना के नाम पर कुल 3,94,72,106 रुपए की एंट्री है. हालांकि, आपत्ति के बावजूद अस्थाना को पद दे दिया गया था.

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हालांकि, अगले साल विजिलेंस कमीशन ने इसी केस का हवाला देते हुए अस्थाना को सीबीआई से हटाने का ऑर्डर दे दिया था. भ्रष्ट्राचार वॉचडॉग ने कहा था कि उठ रहे आरोप-प्रत्यारोपों से जांच में पैदा हो रही रुकावटों को देखते हुए यह आदेश दिया जाता है कि स्पेश्ल डायरेक्टर सीबीआई राकेश अस्थाना की शक्तियां छीनी जा रही हैं और वो किसी भी रजिस्टर्ड केस में या रजिस्टर होने वाले केस में किसी भी तरह की भूमिका नहीं निभाएंगे या शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे.

क्या लौटेंगे अस्थाना?

अब जब उन्हें सीबीआई की ओर से क्लीन चिट मिल गई है, तो यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि अस्थाना एजेंसी के प्रमुख के तौर पर वापस आ सकते हैं. आरके शुक्ला का कार्यकाल खत्म हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति जल्द ही अगले प्रमुख के नाम पर फैसला लेने के लिए मुलाकात करने वाली है.

सीबीआई के प्रवक्ता ने इस डेवलपमेंट पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है. वहीं, राकेश अस्थाना के वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि 'एक निष्पक्ष जांच में यह साबित हो गया है कि मिस्टक अस्थाना को तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर की ओर से कुछ अन्य अधिकारियों की मदद से गलत आरोपों में फंसाया गया. हम इस तथ्य को शुरू से दोहरा रहे हैं. कोर्ट में भी और CVC में भी. हम सही साबित हुए हैं.'

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