ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली बंगाल सरकार के लिए ताजा मुसीबत बीजेपी (BJP) ने खड़ी कर दी है. बीजेपी एक वीडियो सामने लाई है, जो कि राज्य की राजधानी कोलकाता से लगभग 210 किलोमीटर दूर आसनसोल का है. इस वीडियो में एक वैक्सीनेशन कैंप (Vaccination Camp) में तृणमूल (Trinamool) की पार्षद तबस्सुम आरा (Tabassum Ara) दिखाई दे रही हैं. उन पर बिना किसी पूर्व अनुभव के वैक्सीन की डोज देने का आरोप लगाया गया है.
बीजेपी के नेता बाबुल सुप्रियो और अग्निमित्र पॉल द्वारा शेयर किए गए वीडियो में तृणमूल पार्षद तबस्सुम आरा वैक्सीन शिविर में दिखाई दे रही हैं. यह शिविर कुल्टी में नागरिक निकाय द्वारा आयोजित किया गया था. वीडियो क्लिप में दिख रहा है कि कुर्सी पर बैठी एक महिला नर्स द्वारा उसे टीका लगाए जाने का इंतजार कर रही है. वीडियो में पार्षद उसको इंजेक्शन से डोज देती हुई दिखाई देती हैं.
इस मामले में आलोचनाओं से घिरीं तबस्सुम आरा ने दावा किया है कि उन्होंने स्कूल में एक नर्सिंग कोर्स किया है. उन्होंने इस बात से इनकार भी किया है कि उन्होंने वैक्सीन की डोज लगाई थी.
वे एक वीडियो में कहती हुई सुनाई दे रही हैं कि "मैंने कोई टीका नहीं दिया. मैं केवल अपने हाथ में सिरिंज पकड़े हुए थी. बहुत सारे लोग हैं जो वैक्सीन लगवाने में हिचकिचाते हैं."
उन्होंने कहा कि "यह दावा किया जा रहा है कि मैंने खुराक दी है, मैं सिर्फ सिरिंज पकड़कर जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रही थी."
अपने ट्वीट में बाबुल सुप्रियो ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टैग किया है. उन्होंने पूछा है कि "ऐसा लगता है कि टीएमसी सरकार का अपने प्रशासकों पर कोई नियंत्रण नहीं है. एएमसी के प्रशासनिक निकाय की सदस्य, टीएमसी की तबस्सुम आरा ने खुद लोगों को टीका लगाया है और सैकड़ों लोगों की जान जोखिम में डाली है. क्या उनका राजनीतिक रंग उन्हें कड़ी सजा से बचाएगा?"
आसनसोल की विधायक अग्निमित्र पॉल ने भी तृणमूल और पार्षद पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया "टीएमसी की लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ की कोई सीमा नहीं है.. एक गैर-चिकित्सा अधिकारी, टीएमसी की तबस्सुम आरा, जो एएमसी के प्रशासनिक बोर्ड की सदस्य हैं, ने डॉक्टरों और नर्सों के वहां मौजूद होने के बावजूद खुद लोगों को टीका लगाने का फैसला किया...वह ऐसा करने के लिए चिकित्सकीय रूप से अधिकृत भी हैं? ”
इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र सरकार ने कोलकाता में फर्जी COVID-19 टीकाकरण शिविर पर बंगाल से एक रिपोर्ट मांगी थी. यह शिविर आयोजित करने वाला आईएएस अधिकारी होने का नाटक कर रहा था. इस शिविर में कथित तौर पर एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिए गए थे.
इसके अगले दिन अगले दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा- "संदिग्ध टीकाकरण शिविरों का मुद्दा एक अलग मामला है. पश्चिम बंगाल सरकार उनसे नहीं जुड़ी है. जैसे ही हमें शिकायतें मिली, हमने तुरंत कार्रवाई की."
जाहिर तौर पर अपनी सरकार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र का जिक्र करते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि इस तरह का पत्राचार तब नहीं किया गया था जब गुजरात में भाजपा के कार्यालयों में वैक्सीन की खुराक दी गई थी.