जाति की चेतना 1950 के दशक की तुलना में आज के समय में अधिक : थरूर

थरूर ने कहा कि आंबेडकर और जवाहरलाल नेहरू, दोनों ही चाहते थे कि भारत से जाति प्रथा खत्म हो जाए तथा नेहरू ने सोचा कि आधुनिकीकरण के साथ यह खत्म हो जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को कहा कि आजादी के ठीक बाद के दशक की तुलना में आज के समय में भारतीय समाज में जाति की अधिक चेतना है. टाटा लिटरेचर फेस्टिवल में ‘‘आंबेडकर की खोई हुई विरासत'' विषय पर एक परिचर्चा में थरूर ने कहा कि प्रत्येक जाति अपनी अस्मिता को लेकर सचेत है और यह अस्मिता राजनीतिक रूप से एकजुट करने का जरिया बन गई है.

थरूर की पुस्तक ‘‘आंबेडकर:ए लाइफ''का विमोचन कार्यक्रम के दौरान किया गया. यह पुस्तक डॉ भीम राव आंबेडकर की जीवनी है."

थरूर ने कहा, ‘‘आंबेडकर जाति प्रथा को पूरी तरह से खत्म करना चाहते थे और यह महसूस कर शायद वह भयभीत हो गये कि जाति प्रथा राजनीतिक दलों में कहीं अधिक गहरी जड़ें जमाई हुई है."

तिरूवनंतपुरम के सांसद ने एक श्रोता के प्रश्न का उत्तर देते हुए यह उल्लेख किया कि भेदभाव या छूआछूत के विरोधी राजनीतिक दल जाति के नाम पर वोट नहीं मांगते. उन्होंने कहा जाति प्रथा खत्म होने से कोसों दूर है.

थरूर ने कहा कि आंबेडकर और जवाहरलाल नेहरू, दोनों ही चाहते थे कि भारत से जाति प्रथा खत्म हो जाए तथा नेहरू ने सोचा कि आधुनिकीकरण के साथ यह खत्म हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने जाति प्रथा को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि जब तक जाति प्रथा की चेतना मौजूद रहेगी, उत्पीड़न भी होता रहेगा. उन्होंने कहा कि जाति अखबारों के वैवाहिक पृष्ठों की एक मुख्य विशेषता है.

यह भी पढ़ें -
-- कांग्रेस ने गुजरात के लिए जारी मेनिफेस्टो में नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलने का किया वादा
-- शारजाह से आ रहे शाहरुख खान को मुंबई एयरपोर्ट पर रोक भरवाई गई 7 लाख की कस्टम ड्यूटी : सूत्र

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Christmas 2024: Manali की Mall Road पर जमकर थिरके टूरिस्ट, दिखा गजब का नजारा
Topics mentioned in this article