महुआ मोइत्रा घूसकांड: संसद अकाउंट के क्रेडेंशियल किसी और को देना राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा कैसे, समझिए

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाए थे कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और तोहफे लिए थे. दुबे ने महुआ के एक्स लिव इन पार्टनर और वकील जय अनंत देहद्राई की लिखी चिट्ठी को आधार बनाकर ये आरोप लगाए थे.

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महुआ मोइत्रा 2 नवंबर को एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुई थीं.

नई दिल्ली:

रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने (Cash For Query) के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) पर सांसदी खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है. इस मामले की जांच के बाद पार्लियामेंट एथिक्स कमेटी (Parliament Ethics Committee) ने शुक्रवार को रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है. इसके बाद कमेटी के 10 में से 6 सदस्यों ने इस मामले की जांच रिपोर्ट को मंजूरी के समर्थन में वोट किया. 4 सदस्यों ने इसके विपक्ष में वोट दिया. सूत्रों के मुताबिक, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महुआ मोइत्रा अपने संसद अकाउंट का लॉग-इन और पासवर्ड बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी को दिया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए बड़ा खतरा है. ऐसे में इस अपराध के लिए महुआ मोइत्रा को सख्त सजा मिलनी चाहिए. कमेटी ने मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है.

पहले जानिए कमेटी ने रिपोर्ट में क्या सिफारिश की?
सूत्रों के मुताबिक, एथिक्स कमेटी ने अपनी सिफारिश में सबसे प्रमुख आधार राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाया. अपनी सिफारिश में कमेटी ने कहा है कि महुआ मोइत्रा ने अपनी संसदीय अकाउंट की लॉग-इन डिटेल अनाधिकृत व्यक्तियों के साथ शेयर की हैं, जिसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है. कमेटी ने इसे गंभीर अपराध माना है.

कमेटी ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा "अनैतिक, जघन्य और आपराधिक कृत्य" बताते हुए इसकी जांच भारत सरकार से समयबद्ध तरीके से करवाने की सिफारिश की है. इसके अलावा कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से मोइत्रा ने जो कैश और अन्य सुविधाएं लीं, उसके Money Trail की जांच भी समयबद्ध तरीके से करवाने की सिफारिश की गई है.

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आइए समझते हैं कि एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा के संसद अकाउंट का क्रेडेंशियल दर्शन हीरानंदानी के साथ शेयर करने को राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा कैसे माना:-

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पहला पॉइंट
एथिक्स कमेटी ने महुआ पर लगे आरोपों की जांच के लिए गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और आईटी मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी थी. इनमें से गृह मंत्रालय से महुआ के केस में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जानकारी मांगी गई थी. मंत्रालय ने काफी सिलसिलेवार ढंग से अपनी जानकारी दी थी. कमेटी ने इस जानकारी को भी अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है."

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दूसरा पॉइंट
सांसद के पोर्टल में कई दस्तावेज एडवांस में शेयर किए जाते हैं. ये सिर्फ और सिर्फ सांसदों के लिए अपलोड किए जाते हैं. ऐसे में किसी थर्ड पार्टी को संसद अकाउंट का लॉग-इन क्रेडेंशियल देने से इन दस्तावेजों के लीक होने का डर रहता है. दस्तावेजों का लीक होना जाहिर तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा है. इतना ही नहीं, दस्तावेजों के लीक होने से साइबर अटैक का भी खतरा रहता है.

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तीसरा पॉइंट
कमेटी की रिपोर्ट में एक बिल का भी जिक्र किया गया है. 2019 में जम्मू-कश्मीर परिसीमन विधेयक (Jammu Kashmir Delimitation Bill 2019) बिल आया था. इस बिल की कॉपी जाहिर तौर पर सभी सांसदों को एडवांस में दी गई थी. इस बिल के पॉइंट्स लीक हो गए थे. जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य के बारे में कोई भी जानकारी अगर लीक हो जाए, तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकता है, हम समझ सकते हैं. इस बिल की लीक हुई जानकारी को लेकर जो कुछ भी हुआ, कमेटी की इस रिपोर्ट में इसका बाकायदा जिक्र है."

चौथा पॉइंट
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि किसी अनधिकृत व्यक्ति के पास अगर किसी सांसद के अकाउंट का लॉग-इन आईडी और पासवर्ड है, हैकर्स इसका फायदा उठा सकते हैं. हैकर सिस्टम में ऐसे दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं. इस केस में अगर बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी की बात करें, तो वो अक्सर विदेश में रहते हैं. ऐसे में संसद अकाउंट का पासवर्ड शेयर करने से सीक्रेट जानकारियां विदेशी एजेंसियों के हाथ लगने का भी डर रहता है."

बता दें कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाए थे कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और तोहफे लिए थे. दुबे ने महुआ के एक्स लिव इन पार्टनर और वकील जय अनंत देहद्राई की लिखी चिट्ठी को आधार बनाकर ये आरोप लगाए थे. इस मामले को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने एथिक्स कमेटी को भेज दिया गया था.

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