पीलीभीत जिले के सुनगढ़ी कोतवाली में समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप और पार्टी के जिला महासचिव युसूफ कादरी के खिलाफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता के बारे में आपत्तिजनक बयान देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है. पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने पत्रकारों को बताया कि भाजपा के जिला महामंत्री महादेव की तहरीर पर शहर के सुनगढ़ी थाना कोतवाली में सपा नेताओं के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है और इसकी जांच की जा रही है.
पुलिस के अनुसार बुधवार को पीलीभीत में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में कश्यप ने मुख्यमंत्री के ''अब्बाजान'' के बयान पर पलटवार करते हुए योगी के पिता को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. सपा की सामाजिक न्याय यात्रा 15 सितंबर को पीलीभीत पहुंची, जहां आयोजित सभा में कश्यप ने मुख्यमंत्री के पिता को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और चेतावनी दी कि अगर योगी आदित्यनाथ उनकी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ टिप्पणी करेंगे तो वह भी चुप नहीं रहेंगे. उन्होंने योगी आदित्यनाथ की कार्रवाई से नहीं डरने की बात भी भरे मंच से की थी. पुलिस के अनुसार सम्मेलन के दौरान मौजूद भीड़ में शामिल लोग कोविड-19 प्रोटोकॉल के नियमों का भी उल्लंघन कर रहे थे,इसलिए नेताओं के खिलाफ कोविड महामारी अधिनियम की धारा में भी मामला दर्ज किया गया है.
गौरतलब है कि 12 सितंबर को कुशीनगर की एक सभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख का नाम लिए बिना कहा था, ''''अब्बा जान कहने वाले गरीबों की नौकरी पर डकैती डाल देते थे, पूरा परिवार झोला लेकर वसूली के लिए निकल पड़ता था, अब्बाजान कहने वाले राशन हजम कर जाते थे, राशन नेपाल और बांग्लादेश पहुंच जाता था, लेकिन आज जो गरीबों का राशन निगलेगा वह जेल चला जाएगा.'''' योगी के इस बयान पर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को लखनऊ में एक निजी चैनल के कार्यक्रम में कहा "अब्बा जान शब्द का प्रयोग योगी जी का संस्कार है. मैं भी कुछ कह सकता हूं लेकिन नेताजी मुलायम सिंह यादव ने मुझे संस्कार दिए हैं, इसलिए मैं ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करता." हालांकि इसी कार्यक्रम के एक सत्र में हिस्सा लेने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को योगी के बयान में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा. उन्होंने दलील दी, " अगर आप मानते हैं कि मुख्यमंत्री को संविधान के दायरे में रहते हुए अपने संवैधानिक हक का इस्तेमाल करके बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए काम करने का अधिकार है तो आप इसे रोकना क्यों चाहते हैं."