कनाडा के उप सेनाध्यक्ष अगले हफ्ते सैन्य संगोष्ठी में हिस्सा लेने भारत आएंगे

आईपीएसीसी द्विवार्षिक आयोजन है, जिसकी शुरुआत 1999 में की गई थी. इसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के सेना प्रमुख हिस्सा लेते हैं और आपसी हितों पर चर्चा करते हैं.

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भारतीय सेना 26 और 27 सितंबर को इस संगोष्ठी की मेजबानी कर रही है.
नई दिल्ली:

कनाडा और भारत के बीच हालिया राजनयिक विवाद का असर कनाडा की सेना के साथ संबंधों पर नहीं पड़ेगा और वह अगले सप्ताह हिंद-प्रशांत देशों के सेना प्रमुखों की दिल्ली में होने वाली बैठक में हिस्सा लेगी. दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. भारतीय सेना 26 और 27 सितंबर को इस संगोष्ठी की मेजबानी कर रही है, जिसका उद्देश्य चीन की इलाके में बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए साझा रणनीति बनाना है.

अधिकारियों ने बताया कि आयोजन में 22 देशों से 15 सेना प्रमुख और प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेंगे. हिंद-प्रशांत सेनाध्यक्ष सम्मेलन (आईपीएसीसी) में कनाडा के उप सेना प्रमुख मेजर जनरल पीटर स्कॉट के शामिल होने का कार्यक्रम है. थलसेना मुख्यालय में रणनीतिक योजना के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल अभिन्य राय ने पूर्वालोकन में कहा, ‘‘ इसका असर नहीं पड़ेगा. कनाडा के सेना प्रमुख यहां आ रहे हैं, उनका प्रतिनिधिमंडल यहां आ रहा है.''

मेजर जनरल अभिन्य राय ने कहा, ‘‘जब हम अपने कुछ पड़ोसी देशों के साथ ऐसे संबंधों को देखते हैं...जहां पर गतिरोध बने रहने की आशंका होती है, वहां प्रत्येक स्तर पर संपर्क बना रहता है, फिर चाहे सैन्य स्तर पर हो या राजनयिक स्तर पर और मैं यहां प्रत्यक्ष रूप से चीन का संदर्भ दे रहा हूं.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कनाडा के साथ राजनयिक पहल के साथ-साथ सैन्य पहल भी यहां जारी रहेगी और आईपीएसीसी के तहत वे इस यात्रा के अहम साझेदार रहेंगे.''

नई दिल्ली स्थित कनाडा के उच्चायोग में रक्षा अताशे कर्नल टॉड ब्रेथवेट ने ‘पीटीआई-भाषा'से एक कार्यक्रम से इतर कहा कि राजनयिक गतिरोध के बावजूद दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग जारी रहेगा. जब दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर बढ़े तनाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘हम अपना सैन्य सहयोग जारी रखेंगे. इसका (राजनयिक गतिरोध का) असर (रक्षा संबंधों पर) नहीं पड़ेगा. हमारे उप सेनाध्यक्ष सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आएंगे.''

मेजर जनरल राय ने टिप्पणी की कि भारत के कनाड़ा के साथ राजनयिक और सैन्य संबंध प्रभावित नहीं होंगे. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी अलगावादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की जून में हुई हत्या में ‘संभावित'तौर पर भारतीय एजेंट के शामिल होने के आरोप के बाद दोनों देशों के राजनयिक संबंधों में और तनाव पैदा हो गया है.

भारत ने मंगलवार को कनाडा के आरोपों को खारिज करते हुए उसे ‘बकवास' और ‘निहित स्वार्थों से प्रेरित' करार दिया और भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने के जवाब में कनाड़ा के भी एक वरिष्ठ राजनयिक को देश से निष्कासित कर दिया. हिंद-प्रशांत सेनाध्यक्ष संगोष्ठी (आईपीएसीसी) में विभिन्न संकटों के समाधान में सैन्य कूटनीति की भूमिका पर चर्चा की जाएगी. साथ ही क्षेत्र के सैन्य बलों के बीच सहयोग और पारस्परिकता को भी बढ़ावा देने पर चर्चा की जाएगी.

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उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एम.वी.सुचिंद्र कुमार ने कहा कि यह आयोजन साझा दृष्टिकोण के प्रति सामान्य नीति बनाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा और यह दुर्जेय और अमिट ‘सैनिक संबंध' के माध्यम से दोस्ती को मजबूत करने में मदद करेगा. आईपीएसीसी द्विवार्षिक आयोजन है, जिसकी शुरुआत 1999 में की गई थी. इसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के सेना प्रमुख हिस्सा लेते हैं और आपसी हितों पर चर्चा करते हैं.

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