गणतंत्र दिवस परेड में हिस्‍सा लेने के लिए कैडेट तैयार, एनसीसी डीजी बोले - 2025 में माउंट एवरेस्‍ट है लक्ष्‍य

एनसीसी डीजी ने कहा कि हम हर साल 500 से ज्यादा कैडेट्स को माउंटेंन में ट्रेंड करते हैं. 14 से 15 हजार कैडेट्स ट्रैकिंग करते हैं. 2025 में हमारा लक्ष्य है माउंट एवरेस्ट है.

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नई दिल्‍ली:

गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) में हिस्‍सा लेने के लिए राष्‍ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps) की तैयारी बहुत अच्‍छी है और वो पूरे जोश में हैं. एनसीसी डीजी लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि पिछले पांच महीने से एनसीसी के कैडेट्स इसकी तैयारी कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि देश के लिए जिम्‍मेदार युवा तैयार करना हमारा मोटो है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि कर्तव्य पथ पर एनसीसी कैडेट्स का जोश पूरी तरह से हाई रहेगा और इस बार आर्मी डे परेड में भी कैडेट्स हिस्सा लेंगे. 

इस तरह से जानिए एनसीसी को : 

  • एनसीसी दुनिया का सबसे बड़ा युवा संगठन 
  • देशभर में करीब 17 लाख एनसीसी कैडेट्स
  • एनसीसी में 40 फीसदी गर्ल्स कैडेट्स की संख्‍या 
  • गणतंत्र दिवस कैम्प में शामिल 2300 कैडेट्स 
  • इनमें से करीब 900 गर्ल्स कैडेट्स भी शामिल 
  • कर्तव्य पथ पर परेड में हिस्सा लेंगे कैडेट्स
  • गणतंत्र दिवस परेड में खास आकर्षण एनसीसी कैडेट्स 
  • 76 साल से देश की सेवा में एनसीसी

शरीर को तंदुरुस्‍त रखें : एनसीसी डीजी  

एनसीसी के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने कहा कि मैं कैडेट्स से सिर्फ यह कहता हूं कि अपने शरीर को तंदुरुस्‍त रखोगे और हरकत करते रहोगे तो गर्मी अपने आप भाग जाएगी. उन्‍होंने कहा कि कैडेट्स को तो ठंड लगती ही नहीं है. वो रात को दो-तीन बजे से उठकर ही तैयारी करने लगते हैं. 

उन्‍होंने बताया कि गणतंत्र दिवस की तैयारी के लिए अलग-अलग राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कैंप में 2300 कैडेट्स शामिल हुए हैं. एनसीसी की दो टुकड़ियां कर्तव्य पथ पर परेड में हिस्सा लेती हैं, जिनमें से एक टुकड़ी लड़कों की तो दूसरी लड़कियों की है. साथ में बैंड भी होता है. 

5 से 6 स्‍तर पर होता है चयन : एनसीसी डीजी 

एनसीसी के डीजी ने बताया कि पांच से छह स्‍तरों पर चयन के बाद कैडेट्स यहां तक पहुंचते हैं. रिपब्लिक डे परेड या कैंप में हिस्सा लेना गर्व की बात होती है. 

उन्‍होंने बताया कि 17 लाख कैडेट्स में से 2300 यहां आते हैं. बहुत मुश्किल प्रतियोगिता है, जो कैडेट्स यहां कैंप अटेंड करने आते हैं, वे यहां से कुछ अलग ही बनकर यहां से जाते हैं. 

एनसीसी कैडेट्स को दी जाती है ऐसी ट्रेनिंग

सिंह ने बताया कि जूनियर डिवीजन के गैजेट्स को साल में 240 पीरियड की ट्रेनिंग दी जाती है. वहीं सीनियर डिवीजन को 3 साल में 300 पीरियड की ट्रेनिंग देते हैं. इस दौरान हम उन्‍हें फायरिंग, लाइफ स्किल्‍स और लीडरशिप जैसी चीजों के बारे में सिखाते हैं. आर्मी कैडेट्स को आर्मी, नेवी कैडेट्स को नेवी और एयरफोर्स से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. उन्‍होंने बताया कि इस बार हमने एडवेंचर ट्रेनिंग पर काफी फोकस किया है. 

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जूनियर डिवीजन को ए सर्टिफिकेट और सीनियर डिवीजन को बी और सी सर्टिफिकेट मिलता है, जिसका फायदा उन्हें फौज या अर्धसैनिक बलों में नौकरी के दौरान होता है. आजकल कॉरपोरेट सेक्टर में भी इसका बहुत महत्व है. 

अब हर जिले में है मौजूदगी : एनसीसी डीजी 

एनसीसी के डीजी ने कहा कि देश के लिए जिम्मेदार युवा तैयार करना भी हमारा मोटो है. हमारा राज्य के अंदर निदेशालय है. यूनिट भी है, जो एनसीसी का फेस होते है. 

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उन्‍होंने कहा, "अगर आज देखें तो जो नेवल चीफ हैं, आर्मी चीफ हैं, वह एनसीसी कैडेट रहे हैं. प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और रक्षा राज्‍य मंत्री भी एनसीसी कैडेट रहे हैं. एनसीसी कैडेट्स हर फील्ड में अच्छा कर रहे हैं. कैडेट्स में सिखलाई और देशभक्ति बहुत अच्छी होती है."

उन्‍होंने कहा कि कैडेट्स की ट्रेनिंग के लिए सरकार के पैसे लगते हैं और अब ड्रेस एलाउंस भी कैडेट्स के अकाउंट में जा रहा है. आज हर जिले में एनसीसी मौजूद है और ग्रामीण इलाके में ज्‍यादा जोर है. जहां-जहां संस्थान है, वहां-वहां एनसीसी है. जम्मू कश्मीर और लद्दाख में ज्यादा बटालियन तैयार की जा रही है. 

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2025 में माउंट एवरेस्‍ट लक्ष्‍य : एनसीसी डीजी 

साथ ही बताया कि हमारा सबसे बड़ा मुद्दा सामाजिक अभियानों में अपना योगदान देना है. सरकार की ऐसी योजनाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना. देश में जहां कहीं भी आपदा आती है, कैडेट्स बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. वायनाड हादसे को याद करत हुए उन्‍होंने कहा कि वहां भी कैडेट्स ने लोगों की मदद की थी. कुंभ में भी कैडेट्स लोगों की मदद में लगे हुए हैं. 

उन्‍होंने जानकारी दी कि हम हर साल 500 से ज्यादा कैडेट्स को माउंटेंन में ट्रेंड करते हैं. 14 से 15 हजार कैडेट्स ट्रैकिंग करते हैं. 2025 में हमारा लक्ष्य है माउंट एवरेस्ट है. इसके लिए कैडेट्स को सियाचिन बैटल स्कूल में ट्रेनिंग दे रहे हैं. 

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