वक्‍फ कानून में संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी, अगले हफ्ते लाया जा सकता है बिल : सूत्र

संशोधनों के अनुसार अब वक्फ बोर्ड जिस भी संपत्ति पर दावा करेगा. उसका सत्यापन करना जरूरी होगा. इसी तरह वक्फ की विवादित संपत्ति का भी सत्यापन जरूरी होगा.

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वक़्फ़ बोर्डों के पास 9.4 लाख एकड़ की करीब 8.7 लाख संपत्तियां

वक्‍फ कानून में संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की खबर आ रही है. सूत्रों के मुताबिक अगले हफ्ते इससे जुड़ा बिल संसद में लाया जा सकता है. संशोधनों के अनुसार अब वक्फ बोर्ड जिस भी संपत्ति पर दावा करेगा. उसका सत्यापन करना जरूरी होगा. इसी तरह वक्फ की विवादित संपत्ति का भी सत्यापन जरूरी होगा. पूरे देश में वक्फ बोर्ड के पास काफी संपत्तियां है. ऐसा माना जाता है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक संपत्ति है. जानकारी के मुताबिक देश में वक़्फ़ बोर्डों के पास 9.4 लाख एकड़ की करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं.

कई संशोधनों पर चर्चा

एक बड़े कदम के तहत सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्ति को 'वक्फ परिसंपत्ति' घोषित करने और उस पर नियंत्रण करने की अनियंत्रित शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार शाम को कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम (जिसे 2013 से पहले वक्फ अधिनियम के नाम से जाना जाता था) में 40 से अधिक संशोधनों पर चर्चा की है. इनमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने के लिए संशोधन शामिल है, जिन्हें कई तरह से मनमाना माना जाता है, जो अब देश भर में लाखों करोड़ रुपये की संपत्तियों को नियंत्रित करता है. 

क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत

सूत्रों ने बताया कि इस तरह के कानून की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया तथा बोहरा जैसे विभिन्न संप्रदायों के कई लोग मौजूदा कानून में काफी वक्त से बदलाव की मांग कर रहे थे. उन्होंने इस बात पर खासा जोर दिया कि संशोधन लाने की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले ही शुरू हो गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि ओमान, सऊदी अरब और अन्य इस्लामी देशों के कानूनों के प्रारंभिक अवलोकन से पता चलता है कि इनमें से किसी भी देश ने किसी एक इकाई को इतने व्यापक अधिकार नहीं दिए हैं. 

2013 के बाद वक्फ बोर्ड को दिए गए धे व्यापक अधिकार

2013 में यूपीए सरकार के दौरान मूल अधिनियम में संशोधन करके वक्फ बोर्डों को अधिक व्यापक अधिकार प्रदान किए गए थे, जो वक्फ अधिकारियों, व्यक्तिगत संपत्ति मालिकों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहित कई राज्य संस्थाओं के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है.

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