नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 (Citizenship Amendment Act) को देशभर में लागू हो गया है और इससे जुड़े नियम भी अधिसूचित कर दिए गए हैं. इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान है. लेकिन देश में ऐसे भी कई राज्य हैं, जो CAA के दायरे से बाहर रहेंगे. पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू नहीं किया जाएगा, जिनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल हैं. बता दें कि CCA कानून सोमवार को लागू किया गया.
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देश के इन राज्यों में क्यों लागू नहीं होगा CAA?
कानून के मुताबिक, CCA उन सभी पूर्वोत्तर राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा, जहां देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों को यात्रा के लिए ‘इनर लाइन परमिट' (आईएलपी) की जरूरत होती है. ILP अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है.अधिकारियों ने नियमों के हवाले से कहा कि जिन जनजातीय क्षेत्रों में संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदें बनाई गई हैं, उन्हें भी सीएए के दायरे से बाहर रखा गया है. असम, मेघालय और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें हैं. इसका मतलब साफ है कि अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर, असम, मेघालय और त्रिपुरा CAA के दायरे से बाहर रहेगा.
केरल और बंगाल सरकार भी CAA के खिलाफ
केंद्र सरकार ने CAA लागू कर दिया है लेकिन केरल और बंगाल में इसे लागू किया जाना काफी मुश्किल भरा काम लग रहा है. दरअसल दोनों ही राज्यों की सरकारों ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तहना है कि अगर सीएए के नियमों के ज़रिए लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया, तो वह इसके ख़िलाफ़ लड़ेंगी. उनका कहना है कि CAA लागू करना चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार है और कुछ नहीं. ममता ने लोगों से शांत रहने और अफ़वाहों से बचने की अपील की.
केरल भी नागरिकता संशोधन कानून के शुरुआत से ही खिलाफ है. सीएम पिनराई विजयन का कहना है कि उनकी सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देगी. उन्होंने इसे सांप्रदायिक कानून करार देते हुए कहा कि इसके विरोध में पूरा केरल एकजुट है. उन्होंने कहा कि केरल पहला राज्य था, जिसने CAA के विरोध में साल 2019 में विधानसभा में प्रस्ताव पास कर इस कानून को रद्द करने की मांग की थी.
असम में CAA का विरोध
असम में भी CAA को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है. असम में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया है. 16 दलों के संयुक्त विपक्षी फ़ोरम ने आज राज्यव्यापी बंद का एलान किया है. असम में कुछ जगह CAA की प्रतियां भी जलाई गईं. AASU से जुड़े लोग दिल्ली आकर सरकार से CAA की अधिसूचना वापस लेने की अपील करेंगे.
असम पुलिस ने बंद बुलाने के लिए 16 विपक्षी राजनीतिक दलों को कानूनी नोटिस जारी किया है. पुलिस ने राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, उन पर केस दर्ज हो सकते हैं. गुवाहाटी HC के 2023 के आदेश में कहा गया है कि 'बंद' अवैध और असंवैधानिक हैं. HC ने आगे निर्देश दिया है कि सरकार प्रदर्शनकारियों से विरोध या हड़ताल की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान की वसूली कर सकती है. वहीं असम के मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी थी कि बंद बुलाने पर राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन बंद हो सकता है.
शरणार्थियों को कैसे मिलेगी नागरिकता?
वहीं CAA को लागू किए जाने के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं में ख़ुशी की लहर है. ये शरणार्थी अब एक पोर्टल के ज़रिए आवेदन कर सकेंगे, इसके बाद उनको हिन्दुस्तान की नागरिकता दी जाएगी. देशभर में नागरिकता संशोधन क़ानून लागू होने के बाद दिल्ली पुलिस अलर्ट पर है.दिल्ली के संवेदनशील इलाक़ों में पुलिस लगातार फ़्लैग मार्च निकाल रही है. शाहीन बाग इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए ये कदम उठाया गया है. दरअसल शाहीन बाग में ही पिछली बार CAA को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे.
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