UP सरकार का बुलडोजर ऐक्शन सही या गलत? अब 29 जून को सुनवाई करेगा SC, जमीयत को दिया वक्त

16 जून को सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. एससी ने तब कहा था कि तोड़फोड़ कानून के अनुसार होना चाहिए.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
यूपी के विशेष सचिव गृह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. (फाइल)
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में हो रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद द्वारा सप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर अब 29 जून को अगली सुनवाई होगी. दरअसल, जमीयत ने यूपी सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था. ऐसे में कोर्ट ने जमीयत को जवाब देने के लिए वक्त दिया. बता दें कि पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ सुनवाई कर रही है. एससी ने जमीयत की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. 

तोड़फोड़ की कार्रवाई नियमों के मुताबिक

इधर, पूरे मामले में यूपी सरकार ने तोड़फोड़ को कानूनी ठहराया है. सरकार की ओर से कहा गया कि तोड़फोड़ की कार्रवाई नियमों के मुताबिक है. इस बाबत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि अवैध निर्माण के खिलाफ तोड़फोड़ नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है. जमीयत तोड़फोड़ को दंगों से जोड़ रहा है. हालांलि, नोटिस बहुत पहले जारी किए गए थे.  

दंगाइयों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई अलग

यूपी सरकार ने कोर्ट में कहा, " अलग कानून के तहत दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. ऐसे में जमीयत पर जुर्माना लगाकर याचिका खारिज की जाए. प्रयागराज में जावेद मोहम्मद के घर के खिलाफ कार्यवाही पर्याप्त अवसर देकर किया गया. इसका दंगे से कोई संबंध नहीं है. कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया."

पूरे मामले में यूपी सरकार का आरोप है कि याचिकाकर्ता झूठा आरोप लगा रहा है कि एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. कोई भी प्रभावित पक्ष अदालत के सामने नहीं है. नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई. 

अवैध रूप से निर्मित संपत्ति ढहाई गई

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विशेष सचिव गृह राकेश कुमार मालपानी ने सुप्रीम कोर्ट में सबूत संलग्नक सहित 63 पेज का हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे के साथ जावेद अहमद के घर पर लगा राजनीतिक दल का साइन बोर्ड, नोटिस सभी चीजें कोर्ट को भेजी गई हैं. हलफनामे में कहा गया है कि बुलडोजर चलाकर अवैध रूप से निर्मित संपत्ति ढहाई गई है. ये प्रक्रिया तो काफी पहले से चल रही है. लिहाजा ये आरोप गलत है कि सरकार और प्रशासन हिंसा के आरोपियों से बदले निकाल रहा है.

गौरतलब है कि 16 जून को सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. एससी ने तब कहा था कि तोड़फोड़ कानून के अनुसार होना चाहिए. ये जवाबी कार्यवाही का उपाय नहीं हो सकता.

Advertisement

यह भी पढ़ें -

"आंखों में आंसू लिए इस गाने को सुनते रहो...", मूसेवाला का नया सॉन्ग सुन भावुक हुए फैन्स

2023 में जम्मू-कश्मीर में होगी जी-20 की बैठक, 5 सदस्यीय समिति का गठन हुआ

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: चरमपंथी वाले बयान पर Asaduddin Owaisi का Tejashwi Yadav पर पलटवार
Topics mentioned in this article