बुलंदशहर स्याना हिंसा मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला, 5 को आजीवन कारावास, 33 को 7 साल की सजा

Bulandshahr Syana Violence: बुलंदशहर स्याना हिंसा मामले में अदालत ने हत्या के पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं बलवा और जानलेवा हमला करने जैसे अपराधों के दोषी पाए गए 33 दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई गई.

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  • बुलंदशहर के स्याना इलाके में 2018 में हुई हिंसा मामले में अदालत ने 38 दोषियों को सजा सुनाई है.
  • पांच दोषियों को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास और 33 को सात-सात साल की सजा दी गई है.
  • हिंसा में स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध सिंह सहित तीन लोगों की हत्‍या कर दी गई थी और जमकर बवाल हुआ था.
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बुलंदशहर:

Bulandshahr Syana Violence: उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित बुलंदशहर हिंसा मामले के सात साल बाद अदालत ने 38 दोषियों को सजा सुनाई है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे)-12 गोपाल ने इस मामले में 5 दोषियों को आजीवन कारावास और अन्‍य 33 दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है. बुलंदशहर के स्‍याना इलाके में 3 दिसंबर 2018 को हिंसा हुई थी, जिसमें स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध सिंह सहित तीन लोगों की हत्‍या कर दी गई थी और इलाके में जमकर बवाल हुआ था.

अदालत ने हत्या के पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं बलवा और जानलेवा हमला करने जैसे अपराधों के दोषी पाए गए 33 दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई गई.

पांच लोगों को हत्‍या के आरोप में दोषी ठहराया

विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह राघव ने बताया कि आरोप पत्र में नामजद 44 लोगों में से 38 के खिलाफ आरोप सिद्ध हुए. एक आरोपी पर किशोर न्यायालय में मुकदमा जारी है क्योंकि वह घटना के समय नाबालिग था. वहीं मुकदमे के दौरान, पांच आरोपियों की मौत हो गई. 

उन्‍होंने बताया कि पांच लोगों को तत्कालीन भारतीय दंड सहिंता की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया, जबकि बाकी को अन्य आरोपों के तहत दोषी करार दिया गया. 

राघव ने कहा कि पांच आरोपियों प्रशांत नट, डेविड, जॉनी, राहुल और लोकेंद्र मामा को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी पाया गया है जबकि बाकी 33 आरोपियों को अन्य धाराओं के तहत दोषी माना गया है. 

बुलंदशहर में इस तरह से भड़की थी हिंसा

बुलंदशहर के स्‍याना के चिंगरावठी में 3 दिसंबर 2018 को गोवंश के अवशेष मिलने की खबर के बाद हिंसा भड़क गई थी. हिंसा पर उतारू भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी को फूंक दिया था. इस दौरान हिंसा में स्याना इंस्पेक्टर सुबोध सिंह समेत 2 लोगों की हत्या कर दी गई. सुबोध कुमार उन दिनों स्याना पुलिस थाने के कोतवाल थे. हिंसक भीड़ को काबू करने में सुबोध सिंह की जान चली गई थी. इसी हिंसा में सुमित की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 

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हिंसक भीड़ को काबू में करने के लिए बुलंदशहर पुलिस ने गोकशी के आरोप में दस आरोपियों पर केस दर्ज किया था. तब जाकर मामला शांत हुआ था. कई घंटों तक उस समय पुलिस और प्रदर्शनकारियों में पथराव होता रहा. कई लोग घायल हुए थे. पूरा इलाका लड़ाई का मैदान बन गया था. 

मुकदमे के दौरान 5 लोगों की हो गई थी मौत

बुलंदशहर की पुलिस ने हिंसा भड़काने और तीन लोगों की हत्‍या के मामले में अलग से केस दर्ज किया था. इस केस में  44 लोगों को आरोपी बनाया था. इनमें से 5 लोगों की मुकदमे के दौरान ही मौत हो गई. वहीं इस केस में एक आरोपी नाबालिग था, जो अब छूट चुका है. पुलिस ने 44 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इस तरह से 38 आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया गया. इनमें से 4 आरोपी जेल में और 34 जमानत पर थे. 

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