केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कई ऐसे वर्गों का भी खयाल रखा है, जिनसे जुड़े मुद्दे हालिया दौर में अपनी ओर हर किसी का ध्यान खींचते रहे हैं. इनमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से जुड़े करीब एक करोड़ 'गिग' वर्कर्स भी शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री ने उनके लिए सामाजिक सुरक्षा योजना की घोषणा की और कहा कि सरकार उन्हें पहचान पत्र देगी. इस ऐलान के बाद उबर-ओला और जोमैटो-स्वीगी जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े वर्कर्स के चेहरों पर मुस्कान आ गई है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स में छूट देकर नौकरी पेशा लोगों को बड़ी सौगात दी तो उनके बजट भाषण के बाद गिग वर्कर्स के चेहरे भी खिल उठे. उन्होंने कहा कि सरकार एक करोड़ ‘गिग' वर्कर्स की सहायता के लिए ई-श्रम मंच पर पहचान पत्र और पंजीकरण की व्यवस्था करेगी.
बजट भाषण में क्या बोलीं वित्त मंत्री?
केंद्रीय बजट को पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि शहरी वर्कर्स के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए योजना लागू की जाएगी. उन्होंने कहा, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ‘गिग' वर्कर नए युग की सेवा अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण गतिशीलता प्रदान करते हैं. उनके योगदान को मान्यता देते हुए हमारी सरकार ई-श्रम पोर्टल पर उनके पहचान पत्र और पंजीकरण की व्यवस्था करेगी.
साथ ही कहा, "उन्हें पीएम जन आरोग्य योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की जाएगी. इस उपाय से करीब एक करोड़ कामगारों को सहायता मिलने की उम्मीद है."
अबतक विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों या विभागों की 12 योजनाओं को ई-श्रम पोर्टल के साथ जोड़ा जा चुका है.
केंद्र सरकार के कदम की सराहना
स्विगी के कॉरपोरेट मामलों के वाइस चेयरमैन दिनकर वशिष्ठ ने कहा कि प्रधानमंत्री आरोग्य योजना के माध्यम से अस्थायी कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा के तहत लाने का केंद्र का निर्णय सराहनीय है.
वशिष्ठ ने एक बयान में कहा, “स्विगी और कई अन्य मंच पिछले कई वर्षों से हमारे ‘डिलीवरी पार्टनर' को कुछ बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय चलन के अनुरूप शर्तों के तहत स्वास्थ्य और अन्य प्रकार के बीमा प्रदान कर रहे हैं. हम यह समझने के लिए विस्तृत विवरण का इंतजार करेंगे कि हमारे डिलीवरी पार्टनर के हितों को सुनिश्चित करते हुए बीमा को सर्वोत्तम तरीके से कैसे प्रदान किया जा सकता है.”
इस घोषणा की सराहना करते हुए भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि गिग और मंच श्रमिकों के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण सामाजिक सुरक्षा ढांचे में उनकी पहचान और समावेश सुनिश्चित करेगा.
डेलॉयट इंडिया की कार्यकारी निदेशक दीपिका माथुर ने भी इस कदम का स्वागत किया और कहा कि उनके लिए स्वास्थ्य सुविधा की घोषणा एक सराहनीय कदम है. माथुर ने कहा, ‘‘उन्हें प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा दी जाएगी. इस उपाय से लगभग एक करोड़ गिग श्रमिकों को लाभ मिलने की संभावना है.''
कौन हैं गिग वर्कर्स?
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिलिवरी सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारी आदि गिग वर्कर्स की श्रेणी में आते हैं. इनमें उबर, ओला, स्विगी और जोमैटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े लोग शामिल हैं.
‘गिग वर्कर्स' उन श्रमिकों को कहा जाता है जिनका काम अस्थायी होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो ये किसी काम को अस्थायी तौर पर करते हैं और फिर बेहतर अवसर मिलने पर ये अपने काम को बदल लेते हैं.